सर्वोच्च न्यायालय ने 14 मार्च को महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष पर सुनवाई की। इस समय हरीश साल्वे ने पहले एकनाथ शिंदे के पक्ष में तर्क दिए, उसके बाद नीरज कौल, महेश जेठमलानी और मनिंदर सिंह ने भी दलील दी।
अब 15 मार्च को सुनवाई
एकनाथ शिंदे के वकील से पूछा गया था कि क्या आप आज सुप्रीम कोर्ट की बेंच के साथ बहस खत्म करने जा रहे हैं या आपको कल भी समय चाहिए? इस पर मनिंदर सिंह ने कहा, ‘मैं आज बहस खत्म कर रहा हूं। जजों ने अब तक काफी धैर्य दिखाया है। मैं और अधिक समय नहीं लूंगा।” उनके यह कहते ही कोर्ट में ठहाका लगा। इस पर जस्टिस ने कहा कि हमने अब तक सुना है। आगे और भी बहस जारी रखेंगे तो हम सुनेंगे।
अब मनिंदर सिंह की बहस खत्म हो चुकी है और अब तुषार मेहता अपना पक्ष रखने वाले हैं। 15 मार्च को सुबह 11 बजे दोबारा सुनवाई होगी। इस दिन पहले तुषार मेहता अपना पक्ष रखेंगे और फिर ठाकरे गुट के कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी अपना पक्ष रखेंगे।
नीरज कौल के तर्क के मुख्य बिंदु
-राजनीतिक दल का अस्तित्व विधायक दल पर निर्भर करता है।
-सत्ता संघर्ष में बना अलग गुट ही असली शिवसेन है, चुनाव आयोग ने भी इसे मान्यता दी है। इस दौरान संविधान पीठ ने नीरज कौल की दलील पर सवाल उठाया। अगर आपकी बात मान ली जाए तो क्या विधानसभा अध्यक्ष के सहारे कोई पार्टी चल सकती है?
-इस पर नीरज कौल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट संवैधानिक संस्थाओं को किनारे रखकर फैसला नहीं ले सकता। विधानसभा में गुट नेता ही पार्टी की स्थिति तय कर सकता है। विधानसभा अध्यक्ष के पास विधायकों को अयोग्य ठहराने की शक्ति होती है, जबकि राज्यपाल के पास बहुमत परीक्षण की शक्ति होती है। चुनाव आयोग के पास यह तय करने की शक्ति है कि पार्टी किसकी है। क्या सुप्रीम कोर्ट यह कहेगा कि हम इन सभी संवैधानिक तंत्रों को दरकिनार कर फैसला करते हैं? यह तर्क नीरज कौल ने दी।
-राज्यपाल ने अपने अधिकार में बहुमत परीक्षण का फैसला किया। स्थिति के अनुसार, राज्यपाल ने बहुमत परीक्षण करने की मंजूरी दी।
-राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे को बहुमत परीक्षण का सामना करने को कहा था। हालांकि, बहुमत न होने की वजह से उद्धव ठाकरे ने पहले ही इस्तीफा दे दिया था। चूंकि सरकार के पास बहुमत नहीं था, ऐसे में राज्यपाल सत्र बुला सकता था। राज्यपाल को यह अधिकार है।
-क्या पूर्व में राज्यपाल ने ऐसा फैसला लिया है? यह सवाल संविधान पीठ ने पूछा, इसके जवाब में कौल ने कहा कि इसका
मुझे पता लगाना है। लेकिन मान लीजिए कि ऐसा कोई मामला नहीं है।