सर्वोच्च न्यायालय ने अपना निर्णय सुना दिया है, न्यायालय ने महाविकास आघाड़ी सरकार को विश्वास मत प्राप्त करने का आदेश दिया है। इससे शिवसेना के मुख्य प्रतोद सुनील प्रभु की याचिका खारिज हो गई है।
शिवसेना के प्रतोद सुनील प्रभु की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। इसमें राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा बहुमत सिद्ध करने के निर्देश को चुनौती दी गई थी। इस प्रकरण की सुनवाई वैकेशन बेंच के न्यायाधीश सूर्या कांत और न्यायाधीश जे.पी पारडीवाला के समक्ष हो रही थी। शिवसेना की ओर से यह प्रकरण वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी प्रस्तुत कर रहे हैं, राज्यपाल की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और असंतुष्ट नेता एकनाथ शिंदे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नीरक किशन कौल प्रस्तुत कर रहे हैं।
बहुमत सिद्ध करने का है निर्देश
मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी के नेता देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से भेंट करके उन्हें महाविकास आघाड़ी सरकार द्वारा बहुमत सिद्ध प्राप्त करने का निर्देश देने की मांग की थी। इस भेंट में देवेंद्र फडणवीस ने एक पत्र राज्यपाल को सौंपा था, जिसमें राज्य सरकार के अल्पमत में होने की जानकारी दी गई थी, साथ ही ऐसी परिस्थिति में पूर्व में लिए गए निर्णयों की जानकारी भी दी गई थी। इसके लगभग आठ दिन पहले 34 असंतुष्ट विधायकों ने भी राज्यपाल को पत्र लिखा था।
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इस परिस्थिति में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य सरकार से 30 जून को बहुमत सिद्ध करने को कहा है। इसे लेकर शिवसेना ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी थी। उन्होंने पक्ष रखा था कि, सर्वोच्च न्यायालय में शिवसेना के असंतुष्ट विधायकों के निलंबन और मुख्य प्रतोद की नियुक्ति को लेकर याचिकाएं पहले से ही सर्वोच्च न्यायालय में प्रलंबित हैं। जिस पर न्यायालय ने यथा स्थिति रखने को कहा है।
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