एक तरफ दिल्ली में कृषि बिल पर घमासान मचा है तो दूसरी तरफ महाराष्ट्र में भी मराठा आरक्षण को लेकर उबाल आने का खतरा मंडरा रहा है। मराठा समाज को इसके लिए बस सुप्रीम कोर्ट की पीठ के फैसले का इंतजार है।
9 दिसंबर को सुनवाई
मराठा आरक्षण को लेकर उस महत्वपू्र्ण फैसले का समय आ गया है। 9 दिसंबर को दोपहर दो बजे सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई अंतरिम रोक पर सुनवाई होनी है। इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से इस मुद्दे पर जल्द सुनवाई करने की मांग की थी। मराठा आरक्षण पर लगी इस अंतरिम रोक पर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ के समझ सुनवाई होगी।
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सरकार ने खड़ी की वकीलों की फौज
मराठा आरक्षण पर लगी रोक को लेकर आरोपों की बौछार झेल रही महाराष्ट्र की महाविकास आआड़ी सरकार ने इस बार अपना पक्ष रखने के लिए पूरी तैयारी की है। मराठा आरक्षण मामले के मंत्रिमंडल के उपसमिति के अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने इसके लिए पांच वकीलों की फौज खड़ी की है। इस समन्वय समिति में एड. आशीष गायकवाड, एड. राजेश टेकाले, एड. रमेश दुबे पाटील, एड. अनिल गोलेगांवकर और एड. अभिजीत पाटील शामिल हैं। इन्होंने मराठा आरक्षण को लेकर काफी विस्तृत जानकारी ली है। राज्य सरकार के साथ ही समाज के लोगों को भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है। अगर यह फैसला मराठा समाज के विरुद्ध आता है तो उद्धव सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
टेंशन में उद्धव सरकार
मराठा आरक्षण पर लगी अंतरिम रोक के आदेश आने के बाद से ही महाविकास आघाड़ी का टेंशन बढ़ गया था। उसने फौरन इस आदेश को स्थगित करने की कोशिश शुरू कर दी थी। इसके लिए उसने 20 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उसके बाद अंतरिम रोक पर जल्द से जल्द सुनवाई करने की मांग को लेकर एक के बाद एक चार याचिकाएं दायर की थीं। पहली 7 अक्टूबर, दूसरी 28 अक्टूबर, तीसरी 2 नंवबर और चौथी 18 नवंबर को दायर की गई थी।
नौकरी और शैक्षणिक आरक्षण पर अंतरिम रोक
मराठा आरक्षण को लेकर राज्य सरकार के वरिष्ठ कानूनविद् मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य जस्टिस के समझ जल्द से जल्द संविधान पीठ स्थापित करने की आवश्यकता बताई थी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने 9 सितंबर 2020 को दिए गए अंतरिम आदेश में नौकरी तथा शैक्षणिक प्रवेश में मिलनेवाले आरक्षण पर रोक लगा दी थी। इससे समाज के हजारों लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। रोहतगी ने कोर्ट में इस बात को रखते हुए कहा था कि इस वजह से मराठा आरक्षण पर जल्द से जल्द सुनवाई आवश्यक है।