पिछले कुछ दिनों से एमएसआरटीसी कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी है। उनकी महंगाई भत्ता और मकान किराया बढ़ाने की मांग को स्वीकार कर लिया गया है, लेकिन एसटी का राज्य सरकार में विलय की मांग अभी तक पूरी नहीं हुई है। इसके लिए पिछले 5 साल से हर साल एसटी कर्मचारी हड़ताल करते आ रहे हैं। फिर भी उनकी यह मांग अभी तक पूरी नहीं होने से वे नाराज हैं।
एसटी कर्मियों ने इस साल 27 अक्टूबर से एक बार फिर से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की है। हालांकि प्रदेश भर के डिपो में शत-प्रतिशत बंद के साथ 8 नवंबर से यह हड़ताल शुरू है। परिणास्वरुप निगम को अब तक 300 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो चुका है। ऐसे में एसटी निगम ने कर्मचारियों को सस्पेंड करना शुरू कर दिया है। उनका निलंबन सत्र अभी भी जारी है। इसी क्रम में 11 नवंबर तक 1,135 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है।
इतने डिपो के कर्मियों पर हुई कार्रवाई
राज्य सरकार में विलय की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए 376 एसटी कर्मियों के खिलाफ एसटी निगम ने पहले ही कार्रवाई की थी। अब 11 नवंबर को प्रदेश के 122 डिपो समेत अन्य कार्यशालाओं के कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई है।