Swami Dayanand Saraswati Jayanti: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने 11 फरवरी (रविवार) को स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती (Swami Dayanand Saraswati Jayanti) पर आयोजित समारोह में एक वीडियो संदेश में कहा कि गुलामी के कालखंड में उन्होंने सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार किया और जनमानस को वेद और आध्यात्म से जोड़ा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अंग्रेजों ने सामाजिक कुरीतियों (social evils) को मोहरा बनाकर हमें नीचा दिखाने की कोशिश की। सामाजिक बदलाव (social change) को हवाला देकर अंग्रेजी राज को कुछ लोगों ने सही ठहराने की कोशिश की। ऐसे समय में स्वामी दयानंद के प्रयासों से इन सभी साजिशों को गहरा धक्का लगा। आर्य समाज से प्रभावित लाला लाजपत राय, राम प्रसाद बिस्मिल और स्वामी श्रद्धानंद जैसी क्रांतिकारियों की पूरी शृंखला तैयार हुई। ऐसे में कहा जा सकता है कि स्वामी दयानंद सरस्वती केवल एक वैदिक ऋषि ही नहीं बल्कि राष्ट्र चेतना के ऋषि थे।
स्वामी दयानंद सरस्वती जी का दिखाया मार्ग अमृतकाल में करोड़ों लोगों में आशा का संचार कर रहा है। उनकी 200वीं जयंती से जुड़े कार्यक्रम का हिस्सा बनना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। https://t.co/VWnSBgp59i
— Narendra Modi (@narendramodi) February 11, 2024
मायभारत से जुड़ने के लिए किया प्रोत्साहित
प्रधानमंत्री ने कहा कि आर्य समाज की ओर से चलाए जा रहे शिक्षा संस्थान और इसमें पढ़ने वाले विद्यार्थी एक बड़ी शक्ति है। यह सब एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। सामाजिक कार्यों से जुड़ने के लिए भारत सरकार के नवगठित युवा संगठन की शक्ति भी है। उनका आग्रह है कि दयानंद सरस्वती के सभी अनुयायी डीएवी शैक्षिक नेटवर्क के सभी विद्यार्थियों को मायभारत से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करें।
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नारी शक्ति वंदन अभिनियम
उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद ने अपने दौर में महिलाओं के अधिकारों और उनकी भागीदारी की बात की थी। नई नीतियों के जरिए ईमानदार कोशिशों के जरिए देश आज अपनी बेटियों को आगे बढ़ा रहा है। कुछ महीने पहले ही देश ने ‘नारी शक्ति वंदन अभिनियम’ पास करके लोकसभा और विधानसभा में महिला आरक्षण सुनिश्चित किया है। देश के इन प्रयासों से जन-जन को जोड़ना ही आज महर्षि को हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।