-महेश सिंह
Tahawwur Rana: 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों (26/11 Mumbai terror attacks) के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा (Tahawwur Hussain Rana) को भारत लाया गया है। तहव्वुर राणा ने मुंबई हमलों (Mumbai attacks) में रेकी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। तहव्वुर राणा को भारत लाने की प्रमुख प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब उसे सजा सुनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
कसाब को हुई थी फांसी
मुंबई 26/11 आतंकवादी हमला मामले में दोषी अजमल कसाब को भारतीय कानून के तहत फांसी दी गई थी। अब इस कतार में तहव्वुर राणा भी है। तहव्वुर राणा को भारत लाने के प्रयास पिछले 17 वर्षों से चल रहे थे। क्या तहव्वुर राणा को फांसी की सजा दी जा सकती है? आज हर भारतीय इस सवाल का जवाब चाहता है। हालांकि यह कहना मुश्किल है कि उसे क्या सजा मिलेगी। लेकिन एनआईए उसके खिलाफ मजबूत मामला तैयार करेगी, ताकि उसे जल्द से जल्द सजा मिल सके।
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क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
क्या तहव्वुर राणा को होगी फांसी? इस बारे में हिंदुस्थान पोस्ट से बात करते हुए महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रवीण दीक्षित ने कहा कि तहव्वुर राणा ने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ा था, जिसमें 166 लोग मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हुए। यह पूरा टेररिस्ट एक्टिविटी थी और पूरे भारत में इसने आतंकी कार्रवाई करने का षड्यंत्र रचा था। इसके सभी तरह के सबूत हैं। सबूत देखने के बाद न्यायालय उसे फांसी की सजा सुना सकता है। एनआईए का पूरा प्रयास होगा कि उसे फांसी की सजा हो।
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10 अप्रैल को एनआईए ने किया गिरफ्तार
राणा को 10 अप्रैल की शाम छह बजे विशेष विमान से भारत लाया गया। जैसे ही विमान पालम हवाई अड्डे पर उतरा, एनआईए टीम ने सबसे पहले उसे 26/11 मुंबई आतंकवादी हमला मामले में गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद हवाई अड्डे पर उनका मेडिकल परीक्षण किया गया। उसे सीधे न्यायालय ले जाया गया। वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने वहां एनआईए का प्रतिनिधित्व किया।
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विशेष कमरे में पूछताछ
तहव्वुर राणा से पूछताछ के लिए एनआईए मुख्यालय में एक विशेष कमरा बनाया गया है। इसमें केवल 12 लोगों को जाने की अनुमति है। इसमें एनआईए और सुरक्षा एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। जो कोई भी तहव्वुर राणा से बात करना चाहता है, उसे पहले एनआईए अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी। एनआईए तहव्वुर राणा को मुंबई 26/11 आतंकी हमलों से जुड़ी कुछ खास तस्वीरें, वीडियो, ईमेल और कुछ वॉयस रिकॉर्डिंग सुनाई गई, जिसके बाद उससे पूछताछ शुरू हो गई है।
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क्या है अमेरिका-भारत प्रत्यर्पण संधि?
तहव्वुर राणा के खिलाफ सुनवाई सभी प्रत्यर्पण नियमों के अनुपालन में की जाएगी। यहां एक सवाल यह है कि क्या तहव्वुर राणा को फांसी की सजा दी जा सकती है? यदि आपको याद हो तो अबू सलेम को पुर्तगाल से भारत प्रत्यर्पित किया गया है। प्रत्यर्पण संधि के तहत यह निर्णय लिया गया था कि उसे मृत्युदंड नहीं दिया जाएगा। उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। वह जेल में बंद है। अबू सलेम को पुर्तगाल में गिरफ्तार किया गया था। पुर्तगाल में मृत्युदंड का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए भारत लाए जाने के बाद उसे मृत्युदंड नहीं दिया गया। अब सवाल यह है कि तहव्वुर राणा का क्या होगा? इसके लिए हमें भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच हस्ताक्षरित प्रत्यर्पण संधि को समझने की आवश्यकता है।
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सलेम को क्यो नहीं दी जा सकी फांसी?
भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि के अनुसार, अनुच्छेद 8, खंड 1 के अनुसार, यदि जिस अपराध के लिए प्रत्यर्पण मांगा गया है, वह प्रत्यर्पण का अनुरोध करने वाले देश में मृत्यु दंड से दंडनीय है, लेकिन प्रत्यर्पण देने वाले देश में मृत्यु दंड का प्रावधान नहीं है, तो प्रत्यर्पण का अनुरोध करने वाला देश मृत्यु दंड नहीं दे सकता है। पुर्तगाल में मृत्युदंड का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए अबू सलेम को मौत की सजा नहीं दी जा सकी।
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क्या है अड़चन?
तहव्वुर राणा का दुर्भाग्य यह है कि भारत और अमेरिका दोनों देशों में मृत्युदंड का प्रावधान है। दोनों देशों में अपराधियों को मौत की सजा दी जाती है। नियमों के अनुसार, तहव्वुर राणा को भारत में मौत की सजा दी जा सकती है। यद्यपि तहव्वुर राणा को संयुक्त राज्य अमेरिका से प्रत्यर्पित किया गया था, लेकिन उसे मौत की सजा देने में कठिनाई यह है कि वह एक कनाडाई नागरिक है। कनाडा में मृत्युदंड का कोई प्रावधान नहीं है। यह देखा गया है कि जब किसी कनाडाई नागरिक को किसी देश में मौत की सजा सुनाई जाती है, तो कनाडा उस सजा के खिलाफ अपील करता है, और तहव्वुर के मामले में भी ऐसा ही हो सकता है।
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