Tamil Nadu: तमिलनाडु (Tamil Nadu) भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के अध्यक्ष के अन्नामलाई (K Annamalai) ने कुछ राजनीतिक दलों पर “अनावश्यक विवाद” (unnecessary controversy) करने और भाषा के आधार पर देश को विभाजित करने का प्रयास करने का आरोप लगाया, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) पर कटाक्ष करते हुए, जिसने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने प्रयागराज में रहते हुए ANI से कहा, “कुछ राजनीतिक दल अभी भी हमारे देश को भाषा के आधार पर विभाजित करना चाहते हैं। मातृभाषा सभी के लिए महत्वपूर्ण है। महाकवि भारती ने 10 से अधिक भाषाओं को जानने के बाद तमिल को सबसे महान भाषा कहा था। इसलिए लोगों को अधिक भाषाएँ सीखनी चाहिए।”
#WATCH | Prayagraj: On 3-language policy under NEP (National Education Policy) row in Tamil Nadu, state BJP President K Annamalai says, “… Some political parties still want to divide our country based on language. Mother tongue is important for everyone. Mahakavi Bharati called… pic.twitter.com/7kh5TYBMJp
— ANI (@ANI) February 23, 2025
मुख्यमंत्री स्टालिन बनाम शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान
अन्नामलाई की टिप्पणी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और DMK प्रमुख एम के स्टालिन द्वारा कुछ दिनों पहले ‘समग्र शिक्षा’ निधि जारी करने के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए पत्र के बाद आई है, जब केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि जब तक राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) की ‘तीन भाषा नीति’ लागू नहीं हो जाती, तब तक उन्हें जारी नहीं किया जाएगा। तमिलनाडु भाजपा प्रमुख ने आश्वासन दिया कि छात्रों को एक विशेष भाषा सीखने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा, इसके बजाय वे अपनी पसंद की कोई भी भाषा चुन सकते हैं। उन्होंने कहा, “एनईपी में एक भारतीय भाषा के अध्ययन पर जोर दिया गया है। यह कोई भी भाषा हो सकती है। तमिलनाडु में छात्र किसी अन्य द्रविड़ भाषा का भी अध्ययन कर सकते हैं। राजनीतिक दल अनावश्यक रूप से विवाद पैदा कर रहे हैं।”
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हिंदी विरोधी रुख
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार ने राज्य में हिंदी भाषा को लागू करने को लेकर केंद्र सरकार पर लगातार हमला किया है और कहा है कि केंद्र एनईपी (नई शिक्षा नीति) को लागू करने के लिए धन जारी नहीं कर रहा है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने तमिलनाडु के किसी भी दावे का स्पष्ट रूप से खंडन करते हुए कहा कि ये “काल्पनिक चिंताएँ” हैं। प्रधान ने कहा, “मैं एक बात पर फिर से जोर देना चाहता हूँ कि एनईपी किसी भी राज्य के छात्रों पर किसी भी भाषा को लागू करने की सिफारिश नहीं कर रहा है। इसका मतलब है कि एनईपी किसी भी तरह से तमिलनाडु में हिंदी को लागू करने की सिफारिश नहीं कर रहा है।”
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13 भाषाओं में आयोजित
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 का प्राथमिक सार शिक्षा में वैश्विक मानक लाना है और साथ ही, इसे भारत में निहित होना चाहिए। प्रधान ने कहा, “इसका उद्देश्य तमिलनाडु जैसे राज्यों की भाषाई और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना है। भारत सरकार सभी प्रवेश परीक्षाएं सभी प्रमुख 13 भाषाओं में आयोजित कर रही है और उनमें से एक तमिल भी है।”
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