नरेश वत्स
Delhi देश की राष्ट्रीय राजधानी है। देश की शान है। लेकिन यहां बिजली, पानी जैसी मौलिक सुविधाएं भी लोगों को ठीक से उपलब्ध नहीं है। उसपर प्रदूषण का प्रकोप भी विकराल है। कहने को तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मुफ्त बिजली और पानी के नारे जोर-शोर से लगाते हैं, दूसरे राज्यों में भी चुनाव के समय इसी तरह के वादे करते हैं, लेकिन सच्चाई जनता के सामने हैं। इसके साथ मीडिया द्वारा केजरीवाल सरकार के वादे और इरादे की सच्चाई देश ही नहीं, पूरी दुनिया के सामने हैं। वे जेल से सरकार चलाने का दावा तो कर रहे हैं लेकिन सरकार कैसे चल रही है, यह देश-दुनिया देख रही है।
स्थिति में सुधार नहीं
दिल्ली में पीने के पानी की उपलब्धता की स्थिति नहीं सुधर रही है। गर्मियों के लिए बनाए गए एक्शन प्लान के अनुसार दिल्ली में प्रतिदिन कम से कम 1000 मिलियन गैलन (एमजीडी) पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने का प्लान तैयार किया गया था। लेकिन 7 जून से दिल्ली में पीने का पानी का संकट खड़ा हो गया। इतना ही नहीं, दिल्ली के सभी नौ पानी उपचार संयंत्रों यानि डब्ल्यू टीपी की कुल क्षमता से 16.25 एमजीडी कम पानी मिल रहा है।
केजरीवाल सरकार ने खड़े किए हाथ
दिल्ली में पानी की किल्लत पर 13 जून को केजरीवाल सरकार ने अपने जवाब में कहा था,”हम टैंकर माफिया पर कार्रवाई नहीं कर सकते हैं, क्योंकि टैंकर माफिया यमुना के दूसरी तरफ हरियाणा में ऑपरेट करते हैं। हरियाणा से दिल्ली में एंटर करते हैं।” दिल्ली जल संकट मामले में दिल्ली सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की गई है। इससे एक दिन पहले यानी 12 जून को जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की वकेशन बेंच ने दिल्ली सरकार से कहा कि अगर वह टैंकर माफिया से नहीं निपट सकती तो वह शहर की पुलिस से टैंकर माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने को कहेगी।
दिल्ली सरकार से सर्वोच्च सवाल
12 जून को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर बिजली चोरी रोकने के लिए कड़े कानून हो सकते हैं तो पानी की बर्बादी रोकने के लिए कानून क्यों नहीं हो सकते। पीठ ने कहा,”यदि हिमाचल प्रदेश से पानी आ रहा है तो दिल्ली में कहां जा रहा है? यहां इतनी चोरी हो रही है, टैंकर माफिया काम कर रहे हैं। क्या आपने इनके खिलाफ कोई कार्रवाई की है? यदि आप कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं तो हम इस मामले को दिल्ली पुलिस को सौंप देंगे। लोग परेशान हैं। टैंकर से वही पानी आ रहा है लेकिन पाइपलाइन में पानी नहीं है।” कोर्ट ने आगे कहा, “हर चैनल पर तस्वीरें देख रहे हैं कि दिल्ली में टैंकर माफिया काम कर रहा है। आपने इस संबंध में क्या उपाय किए हैं? हलफनामे से पता चलता है कि ये मामले 2018, 2019 और 2021 में भी सामने आए हैं।हर बार यह अदालत कहती है कि हम ऐसा नहीं कर सकते, यह काम यमुना जल बोर्ड (ऊपरी यमुना नदी बोर्ड-यूवाईआरबी) द्वारा किया जाना चाहिए।”
जल मंत्री की गजब जवाब
दिल्ली की जल मंत्री आतिशी ने कहां है कि पानी की उपलब्धता में आ रही कमी को देखते हुए दिल्ली वासियों को कम से कम पानी खर्च करना चाहिए। वे कहती हैं कि सामान्य परिस्थितियों में दिल्ली में 1005 एमजीडी पानी का उत्पादन होता है लेकिन पिछले एक सप्ताह से इसमें लगातार कमी आ रही है । इसकी वजह से कई क्षेत्र में पानी की आपूर्ति कम हो गई है। लेकिन बीजेपी इससे सहमत नहीं है। दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा है कि पानी की चोरी व बर्बादी रोकने की जगह जल मंत्री फर्जी आंकड़े जारी कर जनता को गुमराह कर रही है। डब्ल्यूटीपी से पानी के उपयोगिता में नाम मात्र की कमी आई है
मूनक नहर पर पहरा
150 से ज्यादा पुलिसकर्मी मुनक नहर पर गश्त लगा रहे हैं। पुलिस के बैठने के लिए झोपड़ी नुमा शामियाने लगाए गए हैं। दिल्ली क्षेत्र में करीब 21 किलोमीटर लंबी मुनक नहर पर पुलिसकर्मी आठ- आठ घंटो की तीन शिफ्ट में पहरा दे रहे हैं। दिल्ली पुलिस ने ट्रैक्टर से टैंकर जोड़कर फैक्ट्री में पानी की आपूर्ति करने वालों के बारे में जानकारी जुटाना शुरू कर दिया है। राजधानी दिल्ली में पानी की किल्लत को देखते हुए दिल्ली सरकार ने पानी के लिए बोरवेल खोदने पर बैन लगा रखा है। लेकिन बवाना में 16 हजार से ज्यादा ऐसे प्लॉट्स हैं, जहां 1000 से ज्यादा बोरवेल हैं। इन्हें दिल्ली नगर निगम ने 99 साल की लीज पर ले रखा है। ऐसा भी कहा जाता है कि ज्यादातर यूनिट्स वॉटर कनेक्शन लेने से बचते हैं और वे पानी के टैंकर के भरोसे रहते हैं। इस तरह पानी की चोरी होती है।
दिल्ली पहुंचने से पहले ही पानी की चोरी
हरियाणा से दिल्ली में पहुंचने से पहले ही यमुना के जल की चोरी शुरू हो जाती है। मुनक नहर क्षेत्र में पानी चोरी करने के लिए टैंकर लगे रहते हैं। दिल्ली में बोरवेल और जल संयंत्र से अवैध रूप से निजी टैंकर भरे जाते हैं। आरोप तो यह भी लग रहे हैं कि आम आदमी पार्टी टैंकर माफिया को संरक्षण दे रही है। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद पाइप लाइन की निगरानी के लिए एडीएम और एसडीएम की टीम बनाई गई है।
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भाजपा का सवाल
बीजेपी सवाल खड़ा कर रही है कि यह कदम पहले क्यों नहीं उठाया गया। दिल्ली सरकार ने अब तक टैंकर माफिया के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज क्यों नहीं की। जनवरी 2023 में दिल्ली जल बोर्ड की ओर से 1189 टैंकर तैनात किए गए थे, जिनकी संख्या जून 2023 में घटकर 1203 हो गई थी। इस वर्ष जनवरी में टैंकरों की संख्या घटकर 888 कर दी गई थी। जबकि प्राइवेट टैंकर पानी के नाम पर मोटी कमाई कर रहे हैं और दिल्ली की जनता प्यासी है।