तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और उनकी पार्टी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को तेलंगाना हाई कोर्ट से झटका लगा है। हाई कोर्ट ने सोमवार को विधायकों के खरीद-फरोख्त मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी है। आज हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के पूर्व फैसले को हाई कोर्ट की खंडपीठ ने बरकरार रखा है।
तेलंगाना हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने सीबीआई से जांच कराने का फैसला सुनाया था। साथ ही न्यायालय ने मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) को भी भंग कर दिया था। सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए तेलंगाना सरकार ने खंड पीठ में याचिका दायर की थी। इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के वकील दुष्यंत दवे ने सरकार की ओर से दलीलें रखीं।
तेलंगाना सरकार का दावा
तेलंगाना सरकार की ओर से दावा किया गया कि बीआरएस के कई विधायकों को पार्टी छोड़ने और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने के लिए संपर्क किया गया था। हाई कोर्ट में इस मामले को सीबीआई को स्थानांतरित करने के लिए कई और याचिकाएं दायर की गई थीं।
यह है दावा
दरअसल, पिछले साल अक्टूबर में साइबराबाद पुलिस ने तेलंगाना के मोइनाबाद में एक फार्म हाउस पर छापा मारकर दावा किया था कि 100-100 करोड़ रुपये में विधायकों को खरीदकर मौजूदा बीआरएस सरकार को गिराने की साजिश रची जा रही थी। बीआरएस के चार विधायक भाजपा के संपर्क में बताए जा रहे थे। इस मुद्दे पर भाजपा ने भारत राष्ट्र समिति के सारे आरोपों को निराधार बताया और बीआरएस के किसी भी विधायक के संपर्क में होने से भी इनकार किया। साइबराबाद पुलिस ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 8 के तहत आपराधिक साजिश और अन्य धाराओं के तहत एफआईआर भी दर्ज की थी।