कानून मंत्री बोले, न्याय संगत है चुनाव आयुक्त नियुक्ति से जुड़ा विधेयक, जानें विपक्ष क्यों है खपा

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर कोई कानून नहीं है। सरकार इस पर कानून बनाए। सरकार के कानून बनाने तक फैसला एक चयन समिति करेगी । उन्होंने कहा कि 1991 में चुनाव आयुक्तों की सेवा, वेतन और भत्तों से जुड़ा विधेयक लाया गया था। उसमें नियुक्ति की कोई बात नहीं थी। वर्तमान सरकार नियुक्ति को लेकर विधेयक लाई है।

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केन्द्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित विधेयक पर हो रही आलोचनाओं का जवाब दिया है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में ही सरकार से ऐसा करने को कहा गया था।

केन्द्रीय मंत्री ने पत्रकारों से कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर कोई कानून नहीं है। सरकार इस पर कानून बनाए। सरकार के कानून बनाने तक फैसला एक चयन समिति करेगी । उन्होंने कहा कि 1991 में चुनाव आयुक्तों की सेवा, वेतन और भत्तों से जुड़ा विधेयक लाया गया था। उसमें नियुक्ति की कोई बात नहीं थी। वर्तमान सरकार नियुक्ति को लेकर विधेयक लाई है।

चुनाव आयोग की नियुक्ति के लिए एक खोज समिति होगी। कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता और अन्य दो सचिवों की सदस्यता में यह सर्च कमेटी पांच नामों की सिफारिश करेगी। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एक समिति इन नामों से चयन करेगी। इसमें विपक्ष को आपत्ति क्यों है।

उल्लेखनीय है कि कल सरकार ने राज्यसभा में मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और पदावधि) विधेयक, 2023 पेश किया। इसके तहत चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्री और विपक्ष के नेता वाली एक समिति करेगी। उल्लेखनीय है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय समिति में कैबिनेट मंत्री के स्थान पर मुख्य न्यायाधीश थे।

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