पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक मामले की जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने बड़ा निर्णय लिया है। सुनवाई के दौरान 10 जनवरी को न्यायालय ने पूर्व जज की अध्यक्षता में कमिटी गठित करने का निर्णय लिया है। मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब के डीजी और मुख्य सचिव को कारण बताओ नोटिस भेजा था और उनकी जांच पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही अभी तक केंद्र सरकार द्वारा गठित समिति की ओर से जांच नहीं शुरू की गई है।
इस मामले की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी काफी महत्वपूर्ण है। न्यायालय ने कहा कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक तो हुई है। खुद पंजाब सरकार ने इस बात को स्वीकार किया है। लेकिन सवाल यह है कि अगर जांच कमिटी गठित की जाए तो वह क्या करेगी।
केंद्र और पंजाब की जांच समितियों पर रोक बरकरार
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि अगर मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करना चाहते हैं तो फिर न्यायालय इसमें क्या कर सकता है। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मामले की जांच के लिए पंजाब और केंद्र सरकार की समितियों पर रोक आगे भी जारी रहेगी।
ये भी बन सकते हैं जांच कमिट के सदस्य
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पूर्व जज की अध्यक्षता में गठित होने वाली समिति में चंडीगढ़ के पुलिस प्रमुख, एनआईए के आईजी, पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल भी सदस्य के रुप मे शामिल हो सकते हैं। इस मामले में 10 जनवरी को सर्वोच्च न्यायालय में दूसरी बार सुनवाई हुई। इससे पहले न्ययायालय ने पंजाब और केंद्र सरकार की ओर से गठित जांच समितियों पर रोक लगा दी थी।