रिपोर्टः सुशांत सावंत
मुंबई। लोकल ट्रेनों को मुंबई की लाइफ लाइन कही जाती है। इसके बिना मुंबई में लोगों का जीवन थम-सा जाता है। इसके मात्र एक-दो घंटे बंद होने से यात्री उतावले होकर तोड़फोड़ करने पर उतारू हो जाते हैं, लेकिन वही लाइफ लाइन पिछले सात महीने से सामान्य यात्रियों के लिए बंद है। देश-दुनिया के साथ महाराष्ट्र में भी कोरोना की महामारी ने सबकुछ बदलकर रख दिया है। सोशल डिस्टैंसिग के साथ ही अन्य तरह की रिस्क की वजह से सिर्फ आवश्यक सेवाओं के यात्रियों के लिए ही लोकल चलाई जा रही हैं। इस कारण अन्य लोगों को अपने कार्यस्थल पर जाने-आने के लिए निजी वाहनों, बेस्ट की बसों और ओला-उबेर आदि का उपयोग करना पड़ रहा है। इसलिए कई लोगों की डिमांड है कि लोकल में सामान्य यात्रियों को यात्रा करने की इजाजत दी जाए।
21 सितंबर को मनसे का आंदोलन
इसी तरह की जन भावना को देखते हुए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने सामान्य जन के लिए लोकल शुरू करने को लेकर सोमवार को जन आंदोलन करने का ऐलान किया है। लेकिन सवाल यह है कि जिस रफ्तार से मुंबई में कोरोना संक्रमण का दर बढ़ रहा है, उस परिस्थिति में क्या लोकल ट्रेनों में सामान्य यात्रियों को यात्रा करने की इजाजत देना उचित रहेगा?
नौकरीपेशा के समर्थन में लोकल चलाने की मांग
इस जन आंदोलन के बारे में पूछे जाने पर हिंदुस्तान पोस्ट को मनसे महासचिव संदीप देशपांडे और मनसे नेता संतोष धुरी ने बताया कि पिछले सात महीनों से नौकरीपेशा लोगों को काम पर जाने के लिए तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बस में भीड़, सड़क पर भीड़, सब जगह तो भीड़ है, जब ऐसी ही परेशानी झेलनी है तो लोकल ट्रेन शुरू करने में क्या दिक्कत है। लेकिन घर बैठकर सरकार चलानेवाले को इस बारे में कोई चिंता नहीं है। इसलिए हम 21 सितंबर को लोकल में यात्रा कर जन आंदोलन करेंगे। यह आंदोलन जनता के हितों को देखते हुए करने का निर्णय मनसे ने लिया है।
पालियों में बांटो कार्यालय का समय
इस बीच उपनगरीय प्रवासी संघ ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मांग की है कि लोकल मे भीड़ को कंट्रोल करने के लिए और दिन प्रति दिन बढ़ रहे कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए मुंबई के दफ्तरों में समय बदलना जरुरी है। वर्तमान में लोकल सेवा सामान्य यात्रियों के लिए उलब्ध नहीं है लेकिन जैसे ही इसे सबके लिए शुरू कर दिया जाएगा, कोरोना संक्रमण बढ़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इसलिए प्रशासन को मुंबई के ऑफिसों के समय में परिवर्तन करना चाहिए ताकि लोग अलग-अलग समय पर ऑफिस के लिए घर से निकलें। इससे यात्रियों की भीड़ कम होगी और कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। रेल्वे प्रवासी संघ के पूर्व अध्यक्ष मनोहर शेलार ने बताया कि इस बारे में हमने मुख्यमंत्री को पत्र व्यवहार कर जानकारी दी है। अगर हमारी यह मांग नहीं मानी जाती है तो भविष्य में जो हालात पैदा होंगे, उसके लिए प्रशासन जिम्मेवार होगा।
कोरोना के बढ़ते संक्रमण का क्या होगा
लोकल में हर दिन करीब 80 लाख लोग यात्रा करते हैं। इसलिए अगर सामान्य यात्रियों के लिए लोकल सेवा शुरू की जाती है तो उन्हें कंट्रोल करना काफी मुश्किल होगा। इस हालत में अगर सरकार लोकल के आलावा दूसरे ट्रांसपोर्ट सेवा बढ़ाती है तो इसका हल निकल सकता है। इस बारे में हिंदुस्तान पोस्ट से बात करते हुए रेल यात्री परिषद के अध्यक्ष सुभाष गुप्ता ने बताया कि हम आखिर कबतक लोकल पर निर्भर रहेंगे। इस मामले में राज्य सरकार को आत्मनिर्भर होना पड़ेगा। इसलिए अगर सामान्य लोगों के लिए लोकल शुरू करना है तो उसे धीरे-धीरे शुरू कर देना चाहिए।
आंदोलन को कई यात्री संगठनों का समर्थन
इसमें कोई दो राय नहीं है कि पश्चिम रेल्वे के विरार-वसई, नालासोपारा और मध्य रेल्वे के ठाणे तथा उससे आगे डोंबिवली, कल्याण,अंबरनाथ, बदलापुर, कसारा,कर्जत आदि उपनगरों में रहनेवाले लोगों को लोकल सेवा बंद होने से ऑफिस आनेजाने में काफी परेशानियों क सामना करना पड़ रहा है। इस हालत में सामान्य लोगों के लिए लोकल ट्रेनों का संचालन शुरु करना जरुरी है। लोग वैसे भी बसों में पांच-छह घंटे भीड़ भरी बसों में बैठकर ऑफिस आने-जाने को मजबूर हैं। इसलिए अनेक यात्री संगठनों ने 21 सितंबर को होनेवाले मनसे के जन आंदोलन को पत्र लिखकर अपना समर्थन दिया है।