पिछले साल से देश भर में व्यापक कोरोना रोधी टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। वर्तमान में देश में इसकी सिंगल डोज लेने वालों की संख्या 100 करोड़ को पार कर गई है। इसके साथ ही दूसरी डोज का भी अभियान रफ्तार में है। हालांकि, टीकाकरण के बाद मिलने वाला सर्टिफिकेट पिछले कुछ दिनों से काफी चर्चा में है। कुछ लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर और सर्टिफिकेट पर उनके संदेश पर कड़ी आपत्ति जताई है। विपक्ष ने भी समय-समय पर इस मुद्दे को उठाया है। हालांकि, अब केरल उच्च न्यायालय ने इस बारे में दायर याचिका खारिज कर दी है। साथ ही इसके लिए याचिकाकर्ता पर 1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।
इस मामले की सुनवाई केरल उच्च न्यायालय में चल रही थी। 21 दिसंबर को इस पर फैसला आ गया है। न्यायालय ने कहा कि याचिका न्यायालय के समय की बर्बादी है और राजनीति से प्रेरित है। न्यायालय ने यह भी कहा कि लोगों को ऐसी याचिका दायर करने से रोकने के लिए 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है।
एक भारतीय नागरिक से ऐसी उम्मीद नहीं
न्यायालय ने कहा कि देश के नागरिकों से ऐसी याचिका की उम्मीद नहीं की जा सकती। न्यायालय ने कहा, “आज यहां हजारों मामले लंबित हैं, ऐसी याचिकाएं न्यायालय के समय की बर्बादी हैं।” अदालत ने प्रशासन को निर्देश दिया, “यदि याचिकाकर्ता निर्धारित समय के भीतर जुर्माने का भुगतान करने में विफल रहता है, तो उसे उसकी संपत्ति की जब्ती से वसूल किया जाना चाहिए।”
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पीटर मायलीपरम्पिर ने दायर की थी याचिका
याचिकाकर्ता पीटर मायलीपरम्पिर ने केंद्र से प्रधानमंत्री की तस्वीर के बिना टीकाकरण प्रमाणपत्र जारी करने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया। याचिकाकर्ता का कहना था कि जब हमने टीके की दोनों खुराक के लिए पैसे दिए हैं, तो वैक्सीन सर्टिफिकेट हमारा निजी मामला है। इसमें हमारी व्यक्तिगत जानकारी होती है। इसलिए, इस निजी मामले में कोई अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। इसी तर्क के साथ उन्होंने केरल उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।