नारायण राणे और शिवसेना के बीच टकराव की राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है। केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बंगले के बाहर युवा सेना के विरोध प्रदर्शन से राणे खासे नाराज हैं, लेकिन शिवसेना और नारायण राणे के बीच जब विवाद इतना गरमाया हुआ है तब राणे की खबर लेने वाले ‘वो’ शिवसैनिक कहां हैं? आइए देखते हैं कौन हैं, बालासाहब के वे शिव सैनिक, जो राणे से टकराते रहे हैं, कहां हैं?
रामदास कदम
रामदास कदम को बालासाहब का कट्टर शिवसैनिक कहा जाता है। पिछले कई सालों से राणे के साथ काम कर रहे रामदास भाई ऐसे समय में भी शांत हैं, जब महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आया हुआ है। राणे के शिवसेना छोड़ने के बाद लगातार राणे की आलोचना करने वाले रामदास भाई इन दिनों राजनैतिक फलक पर कहीं नहीं दिखते। इसके उलट विधानसभा चुनाव में शिवसेना में शामिल हुए भास्कर जाधव राणे की कड़ी आलोचना करते नजर आ रहे हैं।
रवींद्र वायकर
यह शिवसेना में एक महत्वपूर्ण नाम है। उन्हें उद्धव ठाकरे के बेहद वफादार और सच्चे शिवसैनिक के तौर पर देखा जाता है। हालांकि, उन्हें अपना निर्वाचन क्षेत्र के बाहर कई महीनों से नहीं देखा गया है। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि उन्हें मंत्री पद नहीं दिया गया है। इसलिए वे नाराज चल रहे हैं। राज्य में शिवसेना और नारायण राणे के बीच टकराव के बावजूद वायकर की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
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दीपक केसरकर
लोअर कोंकण में नारायण राणे के खिलाफ 2014 के चुनाव में शिवसेना में शामिल हुए दीपक केसरकर राज्य में इतने विवादों के बीच भी शांत हैं। राणे से हमेशा परेशान रहने वाले दीपक केसरकर ने भी इस मामले में कुछ नहीं कहा।
अरविंद सावंत
राणे की लगातार आलोचना करने वालों में शिवसेना सांसद अरविंद सावंत भी शामिल हैं। राणे को केंद्रीय मंत्री पद मिलने पर भी अरविंद सावंत ने राणे की आलोचना की थी, हालांकि, अभी वे ज्यादा बात करते नहीं दिख रहे हैं। सवाल यह उठ रहा है कि क्या शिवसेना के ये सच्चे सिपाही युवा सेना के बढ़ते वर्चस्व से नाराज हैं।
प्रताप सरनाइक
सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले के बाद, अभिनेत्री कंगना रनौत के साथ विवाद बढ़ाने और पार्टी का बचाव करने वाले प्रताप सरनाइक भी राणे के साथ रार पर चुप हैं। राणे द्वारा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की आलोचना के बावजूद प्रताप सरनाइक बिलकुल शांत हैं।