महाराष्ट्र (Maharashtra) में लंबे समय से असमंजस की स्थिति के बाद रविवार (15 दिसंबर) को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Chief Minister Devendra Fadnavis) के मंत्रिमंडल (Cabinet) का विस्तार हुआ। शपथ ग्रहण समारोह (Swearing-in Ceremony) नागपुर (Nagpur) में आयोजित किया गया और यह ऐतिहासिक क्षण है क्योंकि 30 साल से अधिक समय के बाद नागपुर में यह समारोह आयोजित किया गया।
39 मंत्रियों ने ली शपथ
39 विधायकों (MLAs) ने मंत्री पद की शपथ ली, जिनमें भारतीय जनता पार्टी के 19, एकनाथ शिंदे की शिवसेना के 11 और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के 9 विधायक शामिल हैं। राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने विधायकों को शपथ दिलाई। लेकिन इन सबके बीच एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने कुछ ऐसा कह दिया जिससे साफ हो गया कि उनके अपने मंत्री एक शर्त पूरी नहीं करने पर ज्यादा दिन तक मंत्री नहीं रह पाएंगे।
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ढाई साल का होगा मंत्रियों का कार्यकाल
राजनीतिक सूत्रों के अनुसार, शपथ लेने वाले मंत्रियों का कार्यकाल पांच साल नहीं बल्कि ढाई साल का होगा। इस बारे में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना ने बयान भी जारी किया है, लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह फॉर्मूला भाजपा के मंत्रियों पर लागू होगा या नहीं।
मंत्रिमंडल महाराष्ट्र के विकास के लिए काम करेगा: सीएम फडणवीस
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए गए भाजपा नेताओं के लिए संगठनात्मक भूमिका की बात की। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार संविधान का सम्मान करते हुए महाराष्ट्र के तेज विकास के लिए काम करेगी।
2 से 3 दिन में विभागों का आवंटन
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि विभागों का बंटवारा अगले 2-3 दिनों में हो जाएगा। इस बीच, कुछ वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी से असंतोष भी सामने आया है। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए महायुति में यह निर्णय लिया गया है कि मंत्रियों का कार्यकाल रोटेशनल होगा।
अठावले खाली हाथ लौटे!
महागठबंधन के घटक दल आरपीआई के प्रमुख रामदास अठावले ने भी नाराजगी जताते हुए कहा कि हमें कैबिनेट मंत्रालय और विधान परिषद देने का वादा किया गया था, लेकिन हकीकत में कुछ नहीं मिला।
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