अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की वापसी के करीब 15 दिन हो गए हैं। सेना वापसी के लिए अमेरिका की पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है। लेकिन अमेरिका अपने फैसले पर अडिग है और वह अपना लगातार बचाव कर रहा है। उसका कहना है कि वह अब अफगानिस्तान ही नहीं, अन्य देशों में भी युद्ध नहीं लड़ेगा। उसका कहना है कि अफगानिस्तान में अमेरिका ने अपने सैकड़ों सैनिक गवांए हैं। इसके साथ ही खरबों रुपए खर्च किए हैं।
ब्राउन यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि अमेरिका ने जहां अफगानिस्तान में अपने सैकड़ों सैनिक गवांए, वहीं हर दिन 29 करोड़ डॉलर यानी 2135 करोड़ से अधिक रुपए खर्च किए।
20 साल में कुल 20 खरब डॉलर खर्च
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अफगानिस्तान मे अमेरिकी सेना 7300 दिन रही। इस बीच युद्ध से लेकर देश की विकास योजनाओं पर अमेरिका ने 20 साल में कुल 20 खरब डॉलर यानी कुल 1472 खरब रुपए खर्च किए। रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिकी पैसों की मदद से अफगानिस्तान के गरीब युवा भी बेहद अमीर बन गए। उनमें से अधिकांश युवक अमेरिकी सेना के लिए दुभाषिए का काम करने लगे और इसके लिए उन्हें लाखों रुपए दिए जाते थे।
तीन लाख सैनिक 9 दिन भी नहीं लड़ सके
अमेरिका ने अफगानिस्तान के पुनर्निमाण की पूरी कोशिश की लेकिन उसके पैसे का बड़े पैमाने पर दुरुपोग किया गया। यहां तक कि अमेरिका द्वारा प्रशिक्षित तीन लाख अफगानी सैनिकों ने 9 दिन में ही तालिबान के सामने हथियार डाल दिए। रिपोर्ट में कहा गया कि भ्रष्टाचार के कारण अफगानिस्तान में लोकतंत्र नहीं बच सका।
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40 प्रतिशत पैसे का दुरुपयोग
अफगानिस्तान में अमेरिका के दो बार राजदूत रह चुके रेयान क्रॉकर ने इस बारे में कहा है कि अमेरिका की असफलता के पीछे वहां का भ्रष्टाचार है और इसके लिए अमेरिका खुद जिम्मेदार है। उसने वहां लाखों-करोड़ों डॉलर पानी की तरह बहाए, जिसे अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था पचा नहीं पाई। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका के 40 प्रतिशत पैसे या तो तालिबान के हाथ लग गए या फिर हक्कानी नेटवर्क, ड्रग तस्कर और भ्रष्ट अफगानी अधिकारियों के पास चले गए।