कोरोना संक्रमण के मामले में महाराष्ट्र हमेशा से देश में टॉप पर रहा है। प्रदेश की महाविकास आघाड़ी सरकार के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और अन्य मंत्रियों के लाख प्रयासों के बावजूद इस प्रदेश को अभी तक यह उपलब्धि हासिल है। इसके बावजूद 7 महीनों तक प्रदेश के सीएम उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कोई संपर्क नहीं किया और मौन साधे रहे। यह खुलासा सूचना के अधिकार के तहत पीएमओ से प्राप्त जानकारी से हुआ है।
आरटीआई कार्यकर्ता विवेक पांडेय द्वारा दाखिल इस आरटीआई में, यह खुलासा हुआ है कि सीएम ने अगस्त 2020 के अंतिम सप्ताह में पीएम को एक पत्र लिखा था। उसके बाद अप्रैल 2021 के पहले सप्ताह तक उन्होंने पीएम से कोई संपर्क या संवाद नहीं किया। हालांकि इस बीच केंद्र सरकार ने मार्च 2021 में महाराष्ट्र सरकार से संंपर्क किया था और उसे हाई अलर्ट पर रहने को कहा था। उस समय महाराष्ट्र कोविड -19 महामारी की दूसरी लहर की चपेट में आने की कगार पर था।
पांडे ने अपने आवेदन में सरकार से दो सवालों के जवाब मांगे थेः
1- उन्होंने जुलाई 2020 और अप्रैल 2021 के बीच कोविड -19 के खिलाफ जंग के लिए मदद मांगने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और महाराष्ट्र के सीएम के बीच हुए आधिकारिक संवाद या संचार की सॉफ्ट या हार्ड कॉपी मांगी।
2- उन्होंने जुलाई 2020 से अप्रैल 2021 के बीच कोविड -19 के खिलाफ लड़ाई के लिए मदद मांगने के लिए महाराष्ट्र के सीएम द्वारा भारत के पीएम को भेजे गए पत्रों की सॉफ्ट या हार्ड कॉपी मांगी।
जवाब
1- पहले प्रश्न के उत्तर में महाराष्ट्र सरकार ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ सीएम के किसी भी तरह की बातचीत या पत्र व्यवहार के बारे में कोई सॉफ्ट या हार्ड कॉपी नहीं उपलब्ध कराई। उनके जवाब से यह स्पष्ट नहीं है कि उन्होंने किसी तरह की सहायता के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय से संपर्क किया था या नहीं।
2- सीएम ठाकरे और पीएम मोदी के बीच आधिकारिक संवाद में सीएम ने राज्य में टेस्टिंग बढ़ाने के लिए फंड आवंटन की मांग की थी। उन्होंने कहा कि राज्य की 151 प्रयोगशालाओं में कोविड-19 का परीक्षण युद्ध स्तर पर किया जा रहा है और आईसीएमआर राज्य को किट तथा आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध करा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा जारी परिपत्र के अनुसार सितंबर 2020 से उन्हें यह सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जानी थी लेकिन केंद्र ने आगे भी राज्य को यह सप्लाई जारी रखने का आदेश दिया।
RTI was filed to CMO maharashtra seeking information on 2 points.
1. No information on 1st point.
2. Between July 2020 to April 2021 , four letters were sent to PMO seeking covid aid dated-
26/08/2020, 05/04/2021, 22/04/2021, 30/04/2021.#RTI #COVID19 #CoronaSecondWave pic.twitter.com/nr77c1ZQtx— Dr Vivek pandey (@Vivekpandey21) May 18, 2021
ये भी पढ़ेंः पीएम-डीएम में सीधी बात: 10 राज्यों के 54 जिले से सवांद में यह हुई चर्चा
पीएम ने छह बैठकों में दी थी चेतावनी
– रिपोर्ट के अनुसार, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने छह बैठकों के दौरान महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों को भी कोविड -19 की दूसरी लहर के बारे में चेतावनी दी थी। मुख्यमंत्रियों के साथ अपनी बातचीत में, पीएम ने देश के कुछ हिस्सों में बढ़ते संक्रमण का मुद्दा उठाया था। भाजपा का दावा है कि प्रधानमंत्री ने उन्हें इससे निपटने के लिए तैयार रहने को भी कहा था।
– जब मार्च के आसपास संक्रमण फिर से बढ़ने लगा तो एक बार फिर पीएम ने 17 मार्च को कोरोना संक्रमण को लेकर राज्यों को सचेत किया और इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, तत्काल कदम उठाने की सलाह दी।
– दरअसल, देश की स्थिति पर नजर रखने के लिए पीएम ने पिछले साल 23 सितंबर से लेकर इस साल के 23 अप्रैल तक मुख्यमंत्रियों के साथ छह बार बातचीत की। बैठकों के दौरान पीएम ने मुख्यमंत्रियों से लगातार 60 जिलों पर ध्यान केंद्रित करने और परीक्षण को पर्याप्त रूप से बढ़ाने की सलाह दी।
ये भी पढ़ेंः पीएम ने की 9 राज्यों के 46 जिला अधिकारियों से बात, जानिये क्या दी सलाह
दूसरी लहर के बाद केंद्र पर लगाया था आरोप
ध्यान देने वाली बात यह है कि जहां सीएम ठाकरे ने कोविड की तैयारियों पर चुप्पी साधे रखी, और जब केंद्र ने दूसरी लहर की चेतावनी दी तो उन्होंने केंद्र को कई मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए अप्रैल में कई पत्र लिखे। यह वह समय था, जब महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण की स्थिति खराब हो गई थी और महाराष्ट्र भारत के सबसे बुरी तरह प्रभावित राज्य बन चुका था।
– सितंबर 2020 में, महाराष्ट्र सरकार ने शिकायत की थी कि उन्हें केंद्र से पीपीई किट और अन्य चिकित्सीय सामग्रियों की आपूर्ति नहीं की जा रही है। स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने भी कहा था कि राज्य को बढ़ते कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए केंद्र की मदद की जरूरत है। उसके उसी महीने पीएम ने 23 सितंबर को सबसे ज्यादा संक्रमण वाले राज्यों के सीएम के साथ विशेष बैठक की। इसमें महाराष्ट्र भी शामिल था।
अप्रैल में शुरू किया ब्लेम गेम
बता दें कि महाराष्ट्र सरकार और कई पार्टियों के नेता भी केंद्र पर ‘समर्थन की कमी’ का आरोप लगाते हुए अपनी आवाज बुलंद करते रहे हैं। अप्रैल में महाराष्ट्र में दूसरी लहर के बीच सीएम उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर पीएम मोदी को दोष देने की कोशिश की। सीएम ने दावा किया कि उन्होंने पीएम को फोन किया था, लेकिन वे फोन पर इसलिए नहीं आए, क्योंकि वे पश्चि बंगाल के चुनाव में व्यस्त थे।
प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्विट कर कही ये बात
तब शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट किया था,’ माननीय, हम आपके चुनाव प्रचार और रैलियों के समापन का इंतजार कर सकते हैं। लेकिन जिन्हें रेमडेसिविर और ऑक्सीजन की जरूरत है, उनके पास विलासिता के लिए समय नहीं है। महामारी चुनाव नहीं आपातकाल है।”
पीयूष गोयल ने की आलोचना
शिवसेना के कथित रुप से राजनीतिक नाटक बनाये जाने के प्रयास की केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने आलोचना की। उन्होंने स्पष्ट किया था कि केंद्र, राज्य सरकारों के साथ दैनिक आधार पर समन्वय कर रहा है और महाराष्ट्र को सबसे अधिक मात्रा में ऑक्सीजन प्रदान की गई है।
दिलचस्प बात
दिलचस्प बात यह है कि जहां उद्धव ठाकरे और उनकी सरकार केंद्र सरकार पर समर्थन और सहयोग की कमी का आरोप लगा रहे थे और यहां तक की सोशल मीडिया पर पीएम तथा केंद्र सरकार को निशाना बना रहे थे, उन महीनों में और अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर आने तक उन्होंने केंद्र सरकार के पीएमओ से कोई संपर्क नहीं किया।