पटना। बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद को लेकर कोहराम मचा हुआ है, लेकिन बिहार के चुनाव में टिकट बंटवारे में भी यह ट्रेंड जमकर चल रहा है,पर यहां इस बारे में सिर्फ दो ही लोग बोल रहे हैं, एक वो, जिनका इस वजह से टिकट कट गया है और दूसरा मीडिया। इसका कारण यह है कि पॉलिटिक्स में यह ट्रेंड बहुत पुराना है। वंशवाद और भाई-भतीजावाद तो पुरातन काल से ही सियासत का हिस्सा रहा है। राजा के बेटे को राजा बनने की ऐतिहासिक परंपरा रही है। लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव में हमेशा की तरह इस बार भी यह परंपरा कुछ ज्यादा ही हावी है और शायद ही कोई पार्टी इससे अछूती है।
सेकेंड फेज की नामांकन प्रक्रिया शुरू
पहले चरण के बाद बिहार में दूसरे चरण के नामांकन प्रक्रिया का दौर 9 अक्टूबर से शुरू हो गया है और पार्टी के बड़े नेता भी बहुत जल्द ही इस सियासी संग्राम के हिस्सा बनकर चुनाव प्रचार करते नजर आएंगे। उनमें देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आदि के साथ ही भाजपा के बिहार चुनाव प्रभारी और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आदि शामिल हैं। कांग्रेस के पूर्व अधयक्ष राहुल गांधी भी अपनी पार्टी और महागठबंधन के स्टार प्रचारकों में से एक हैं। बस चंद दिनों की बात है, फिर तो बिहार के चुनावी रंग में पूरा देश रंग जाएगा।
आरजेडी में खुला खेल फर्रुखाबादी
हम सबसे पहले बात करते हैं राष्ट्रीय जनता दल यानी आरजेडी की। इस दल के संस्थापक और पूर्व सीएम लालू यादव तो फिलहाल जेल में हैं और उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं चल रहा है लेकिन उनके दोनों लालों ने बड़ी कुशलता से उनकी बागडोर अपने हाथ में ले ली है। आरजेडी के साथ ही महागठबंधन की कमान भी लालू के छोटे लाल तेजस्वी यादव ने संभाल रखी में है। बड़े लाल तेज प्रताप का मिजाज भले ही अलग है लेकिन विरासत में मिली सियासत को वो यूं ही कैसे छोड़ देंगे। टिकट बंटवारे में इस पार्टी में भाई-भतीजावाद का खुला खेल खेला जा रहा है।
वफादारी का उपहार
आरजेडी के कर्ताधर्ता तेजस्वी यादव ने पहले अपने और अपने परिवार का ख्याल रखा है। उन्होंने अपने बड़े भाई तेज प्रताप को टिकट दिया है। वे इस बार हसनपुर सीट से अपनी किस्मत आजमा सकते हैं। अपने भाई के साथ ही आरजेडी ने अपने परिवार के प्रति लालू यादव के समय से ही वफादार रहे परिवारों की नई पीढ़ी का भी पूरा-पूरा ख्याल रखा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह, शिवानंद तिवारी और कांति सिंह के बेटों को भी मुक्त हस्त से टिकट दिया गया है। जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह को रामगढ़ से, कांति सिंह के बेटे को ऋषि सिंह को ओबरा से और शिवानंद तिवारी के बेटे राहुल तिवारी को शाहपुर से किस्मत आजमाने का मौका दिया गया है। ये सभी पहली बार चुनावी जंग में उतरे हैं, लेकिन पार्टी का संकेत साफ है कि उसकी नजर में सिर्फ पार्टी के नेता ही नहीं, बल्कि उनके बाल-बच्चे भी अहम हैं और उनका पूरा-पूरा ख्याल रखना आरजेडी अपना दायित्व समझती है। इनके साथ ही राजद के वरिष्ठ नेता जयप्रकाश नारायण यादव की बेटी दिव्या प्रकाश को तारापुर सीट पर उतारा गया है। यही नहीं,यादव के भाई विजय प्रकाश को भी जमुई से टिकट देकर पार्टी ने उनकी वफादारी का उपहार दिया है।
वफादारों की पत्नियों को भी टिकट
अहम बात तो यह है कि टिकट केवल पार्टी के वफादारों के बेटों को ही नहीं दिया गया है बल्कि उनके भाई और पत्नियों को भी टिकट की रेवड़ी बांटी गई है। इनमें दो विधायकों पर तो बलात्कार जैसे संगीन आरोप लग चुके हैं। इसलिए इस बार उनके बदले उनकी पत्नियों को टिकट दिया गया है। इनमें पहला नाम राजवल्लभ याादव का है। उनकी पत्नी विभा देवी को नवादा सीट से किस्मत आजमाने का मौका दिया गया है। गौर करनेवाली बात यह भी है राजवल्लभ यादव अभी भी रेप केस में जेल में हैं। दूसरे नेता का नाम अरुण यादव है। बलात्कार के मामले में फरार चल रहे अरुण यादव की पत्नी किरण यादव को संदेश सीट से टिकट दिया गया है।
लवली सिंह के साथ उनके बेटे को भी टिकट
हत्या के आरोपी आनंद मोहन सिंह की पत्नी लवली सिंह को भी आरजेडी ने पार्टी नें तह-ए-दिल से स्वागत किया है। उनके आलावा उनके बेटे को भी टिकट मिलने की संभावना है, हालांकि अभी तक इन्हें कौन-सी सीट पर किस्मत आजमाने का अवसर मिलेगा, इस बारे में घोषणा होना बाकी है।
रामा सिंह की पत्नी को भी मौका
इसी तरह के एक और नेता रामा सिंह हैं, उनकी पत्नी को वैशाली सीट से टिकट दिया गया है। ये वही रामा सिंह हैं, जिन पर हत्या और अपहरण के कई मामले दर्ज हैं। इन्ही को लेकर लालू यादव और पार्टी के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश सिंह के बीच खटपट हुई थी। उन्हें पार्टी में शामिल किए जाने से नाराज रघुवंश बाबू ने लालू यादव को अपना इस्तीफा भेज दिया था। उसके एक ही दिन बाद ही उनका निधन हो गया था।
भाजपा में भी वंशवाद
यही हाल अन्य पार्टियों का भी है। भाई-भतीजावाद की राजनीति बिहार की पुरानी ट्रेडिशन है और इससे बचना किसी भी पार्टी के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। भारतीय जनता पार्टी ने इस बार स्वर्गीय दिग्विजय सिंह और पुतुल सिंह की बेटी श्रेयसी सिंह को जमुई विधान सभा क्षेत्र से उतारा है। श्रेयसी सिंह मूल रुप से निशानेबाज हैं और वो ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेल 2014 में सिल्वर मेडल जीत चुकी हैं।
लोक जनशक्ति में भी भाई-भतीजाबाद
लोक जनशक्ति पार्टी का भी यही हाल है। पार्टी के संस्थापक और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद अब लोजपा की पूरी जिम्मेदारी निभा रहे उनके पुत्र चिराग पासवान ने भी टिकट बंटवारे में अपनों का पूरा-पूरा ख्याल रखा है। प्रिंस राज पासवान सीनीयर पासवान के भतीजे हैं और वे पार्टी में सक्रिय रहते हैं। उन्हें भी इस चुनाव में टिकट दिया गया है।
मांझी सबसे आगे
हिंदुस्तानी आवामी मोर्चा के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी तो एक कदम आगे निकल गए हैं। वे एनडीए के साथ चुनावी समर में उतरे हैं। उन्होंने जहां एक टिकट अपने पास रखा है, वहीं दो सीटों पर अपने दामाद और एक पर अपनी समधन को उतारा है। मांझी जहां इममागंज से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, वहीं उन्होंने बाराचट्टी से उनकी समधन ज्योति देवी, मखदुमपुर से देवेंद्र मांझी( दामाद) और सिकंदराबाद से प्रफुल कुमार मांझी( दामाद) को मैदान में उतारा है।
फिहाल बिहार विधान सभा के दूसरे चरण के लिए शुक्रवार को नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस चरण में 17 जिलों के 94 निर्वाचन क्षेत्रों पर 9 अक्टूबर से 16 अक्टूबर तक कैंडिडेट अपना नामांकन दाखिल कर सकते हैं। दूसरे चरण के लिए 3 नवंबर को मतदान कराया जाएगा, जबकि मतगणना 10 नवंबर को होगी।