पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की बहुचर्चित सांसद महुआ मोइत्रा की मुश्किल बढ़ सकती है। 15 अक्टूबर को महुआ के खिलाफ दो पत्र लिखे गए हैं। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष और अधिवक्ता अनंत देहादरी ने सीबीआई निदेशक को पत्र भेजा है।
इनमें आरोप लगाया गया है कि महुआ मोइत्रा ने देश के मशहूर कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से करोड़ों रुपये लिए और लोकसभा में अडानी समूह के खिलाफ सवाल पूछे। सीबीआई से महुआ मोइत्रा के खिलाफ तत्काल जांच की मांग की गई है। लोकसभा अध्यक्ष को भेजे पत्र में महुआ की सदस्यता खत्म करने की मांग की गई है। पत्रों में दावा किया गया है कि अडानी समूह के खिलाफ आधारहीन बातें करने के साथ ही इस प्रकरण से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को जोड़ा गया, ताकि उद्योगपति को बदनाम किया जा सके।
सीबीआई को मिला पत्र
सीबीआई के एक अधिकारी ने 16 अक्टूबर को बताया कि पत्र मिल गया है। संबंधित तथ्यों को देखा जा रहा है। पत्र में कई अन्य दस्तावेज भी शामिल हैं। सत्यता देखने के बाद जांच शुरू की जा सकती है। इस बारे में महुआ मोइत्रा का कहना है कि वे किसी भी तरह की जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं। अडानी समूह और भाजपा उनके खिलाफ साजिश रच रहे हैं।
निशिकांत दुबे ने किया एक पुराने मामले का जिक्र
बता दें कि निशिकांत दुबे ने पत्र में इस बात का जिक्र किया है कि 2005 में 12 दिसंबर को 14वीं लोकसभा के समय ऐसे ही घूस लेकर लोकसभा में सवाल उठाने के आरोप लगे थे। तब तत्कालीन अध्यक्ष ने जांच समिति का गठन किया था। जांच शुरू होने के बाद केवल 23 दिनों के भीतर लोकसभा के 10 सदस्यों को सस्पेंड कर दिया गया था। उसी तर्ज पर महुआ मोइत्रा के खिलाफ जांच शुरू होनी चाहिए।