Trump Administration: भारत का बढ़ा सम्मान, चीन-पाकिस्तान हुए परेशान!

वह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और कूटनीतिक तत्व हो सकते हैं। ट्रंप की नेतृत्व शैली और नीतियां, विशेष रूप से भारत के संदर्भ में, कई तरीकों से फायदे का कारण बन सकती हैं। 

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-अंकित तिवारी

Trump Administration: अमेरिका (America) में राष्ट्रपति चुनाव के नजदीक आते ही राजनीतिक हलचल तेज हो जाती है। विभिन्न देशों के लिए यह एक महत्वपूर्ण मौका होता है कि वे भविष्य में अमेरिका के राष्ट्रपति के नेतृत्व में अपने रिश्तों की दिशा को समझ सकें। डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump), जिन्होंने 2016 में राष्ट्रपति पद का चुनाव जीता था लेकिन 2020 में वे चुनाव हार गए।

अब 2025 में उनकरी पुनः वापसी हुई है। वह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और कूटनीतिक तत्व हो सकते हैं। ट्रंप की नेतृत्व शैली और नीतियां, विशेष रूप से भारत के संदर्भ में, कई तरीकों से फायदे का कारण बन सकती हैं।

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रक्षा और सुरक्षा संबंधों में मजबूती
ट्रंप प्रशासन के पहले कार्यकाल में भारत और अमेरिका के बीच रक्षा और सुरक्षा सहयोग में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई थी। ट्रंप के नेतृत्व में, भारत को “मेजर डिफेंस पार्टनर” का दर्जा मिला था, जिससे दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग की नई दिशा खुली। भारत को उन्नत रक्षा उपकरणों की आपूर्ति और भारतीय सेना की जरूरतों के मुताबिक अमेरिकी तकनीकी सहायता मिली, जो सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण है।

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भारत से सहयोग बढने की संभावना
चीन और पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाली सुरक्षा चुनौतियों के संदर्भ में, ट्रंप का भारत के प्रति समर्थन स्पष्ट रूप से दिखा था। यदि ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बन गए तो यह सहयोग और भी गहरा होने की संभावना बढ़ गई है।। चीन की विस्तारवादी नीतियों के खिलाफ भारत और अमेरिका के बीच सामरिक सहयोग और अधिक मजबूत हो सकता है, और इस क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों के प्रयास और अधिक प्रभावी हो सकते हैं।

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पाकिस्तान पर दबाव
भारत और पाकिस्तान के बीच वर्षों से चली आ रही दुश्मनी और आतंकवाद की समस्या, भारत के लिए एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती रही है। ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान पर आतंकवादियों को शरण देने का आरोप लगाया था और उसे एक बड़ी समस्या के रूप में देखा था। पाकिस्तान को अमेरिका से मिल रहे आर्थिक और सैन्य सहायता को लेकर ट्रंप ने कई बार सवाल उठाए थे और पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए चेतावनी दी थी।

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आतंकवाद से लड़ने में मदद
भारत के दृष्टिकोण से, यह कदम बहुत महत्वपूर्ण था, क्योंकि पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों द्वारा भारत में हमले किए जाते रहे हैं। ट्रंप की वापसी से पाकिस्तान पर दबाव बढ़ने लगा है, जिससे भारत को आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में और अधिक सहायता मिल सकती है। यह दबाव न केवल पाकिस्तान के लिए, बल्कि भारत के लिए भी एक सुरक्षा लाभ हो सकता है।

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व्यापारिक और आर्थिक संबंधों में सुधार
ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति के बावजूद, भारत और अमेरिका के व्यापारिक संबंधों में कई सकारात्मक परिवर्तन आए थे। ट्रंप ने भारत से व्यापारिक असंतुलन को लेकर चिंता जताई थी। इसके बावजूद उन्होंने भारतीय कंपनियों को अमेरिकी बाजार में प्रवेश के लिए प्रोत्साहित किया। इस दौरान, कई व्यापारिक समझौतों और संयुक्त परियोजनाओं पर बातचीत हुई, जिससे भारतीय कंपनियों को नए अवसर मिले।

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अमेरिकी बाजार में निर्यात का बढ़ेगा अवसर
भारत को अपनी उत्पादों और सेवाओं के लिए बड़े और समृद्ध अमेरिकी बाजार में निर्यात बढ़ाने का फायदा हो सकता है। ट्रंप के नेतृत्व में, अमेरिका भारत के लिए एक मजबूत व्यापार साझीदार बना रहा था और यदि वह फिर से सत्ता में लौटते हैं, तो यह व्यापारिक रिश्तों को और मजबूत बना सकता है। विशेषकर आईटी, फार्मास्युटिकल्स और रक्षा क्षेत्रों में भारत के लिए नए व्यापारिक अवसरों का द्वार खुल सकता है।

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चीन के खिलाफ संयुक्त मोर्चा
चीन के बढ़ते प्रभाव और उसके विस्तारवादी दृष्टिकोण ने न केवल एशिया, बल्कि वैश्विक राजनीति को प्रभावित किया है। ट्रंप प्रशासन ने चीन के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया था और उसे व्यापार युद्ध, दक्षिण चीन सागर में उसके कब्जे और मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार ठहराया था।

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चीन की बढ़ेगी चिंता
भारत के लिए, ट्रंप का चीन के खिलाफ मजबूत रुख एक सकारात्मक संकेत था। ट्रंप की राष्ट्रपति पद पर वापसी से, अमेरिका और भारत के बीच सहयोग बढ़ सकता है, खासकर चीन के खिलाफ। भारत और अमेरिका का संयुक्त मोर्चा चीन की विस्तारवादी नीतियों का सामना करने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। ट्रंप की नीति से भारत को चीन के साथ तनावपूर्ण सीमा विवादों को लेकर और अधिक कूटनीतिक और सैन्य सहायता मिल सकती है।

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कूटनीतिक रिश्तों में मजबूती
ट्रंप के पहले कार्यकाल में, भारत और अमेरिका के कूटनीतिक रिश्ते काफी मजबूत हुए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच व्यक्तिगत रिश्तों ने दोनों देशों के बीच सामरिक और कूटनीतिक सहयोग को और बढ़ाया। ट्रंप का भारत के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण और मोदी सरकार के साथ उनके अच्छे संबंधों ने एक मजबूत भारत-अमेरिका साझेदारी का निर्माण किया।

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हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण
यदि ट्रंप पुनः राष्ट्रपति बनते हैं, तो यह रिश्ते और भी मजबूती से विकसित हो सकते हैं। दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी, निवेश, और कूटनीतिक सहयोग के क्षेत्र में और वृद्धि हो सकती है। यह केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए भी महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि भारत और अमेरिका का सहयोग क्षेत्रीय सुरक्षा और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।

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ट्रंप की नीति रणनीतिक रूप से लाभकारी
डोनाल्ड ट्रंप का राष्ट्रपति पद पर लौटना भारत के लिए कई दृष्टिकोणों से लाभदायक हो सकता है। उनके नेतृत्व में भारत को रक्षा, सुरक्षा, व्यापार, और कूटनीतिक सहयोग के क्षेत्र में कई अवसर मिल सकते हैं। खासकर चीन और पाकिस्तान के संदर्भ में, ट्रंप की नीति भारत के लिए रणनीतिक रूप से लाभकारी हो सकती है। हालांकि, उनकी नीतियां विवादास्पद भी हो सकती हैं, लेकिन भारत के लिए उनके नेतृत्व में कई अहम लाभ संभव हैं। इसलिए, ट्रंप का वापसी भारत के लिए एक सकारात्मक घटनाक्रम साबित हो सकता है, जो दोनों देशों के रिश्तों को नई ऊँचाई तक ले जा सकता है।

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