उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज इस बात पर जोर दिया कि लोकतंत्र पूरी तरह से संवाद, चर्चा, विचार-विमर्श और बहस के बारे में है। उन्होंने इस तथ्य के बारे में दुख और चिंता व्यक्त की, कि लोकतंत्र के मंदिरों में अशांति को हथियार बनाया गया है जिसे सभी व्यक्तियों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए चौबीसों घंटे कार्यात्मक रहना चाहिए।
लोकतांत्रिक मूल्यों के सार को संरक्षित और सतत बनाए रखने के लिए उन्होंने सभी का आह्वान करते हुए इस बात पर जोर दिया कि संसद को हर पल कार्यात्माक न रखने का कोई बहाना नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि इस देश के लोग इसके लिए भारी मूल्य चुका रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जब किसी विशेष दिन संसद में व्यवधान होता है तो उस दिन प्रश्नकाल नहीं हो सकता है, जबकि प्रश्नकाल शासन में जवाबदेही और पारदर्शिता को सृजित करने वाला एक तंत्र है।
आज विज्ञान भवन में जामिया मिलिया इस्लामिया के शताब्दी वर्ष के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने रेखांकित किया कि असहमति और मतभेद लोकतांत्रिक प्रक्रिया का स्वाभाविक हिस्सा हैं, लेकिन “असहमति को शत्रुता में बदलना लोकतंत्र के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है।” यह देखते हुए कि देश ने आज अपने आप को कभी ‘सबसे कमजोर पांच’ अर्थव्यवस्थाओं में से निकलकर विश्व की ‘शीर्ष पाँच’ अर्थव्यवस्थाओं में शामिल कर लिया है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत की उल्लेखनीय प्रगति के साथ कुछ चुनौतियों का आना भी निश्चित है। आपकी प्रगति से सभी खुश नहीं हो सकते हैं।
भारत-विरोधी कहानियों को प्रभावहीन करें छात्र
कुछ विदेशी विश्वविद्यालयों का हवाला करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि ये अस्थिर धरातल पर भारत विरोधी आख्यान को बढ़ावा देने के लिए ब्रीडिंग स्थल बन गए हैं। उन्होंने सावधान करते हुए कहा कि ऐसे संस्थान हमारे छात्रों और संकाय सदस्यों का अपने संकीर्ण उद्देश्य के लिए भी उपयोग करते हैं। उन्होंने छात्रों से ऐसी स्थितियों से निपटते समय सावधान होने और निष्पक्षता पर ध्यान देने के लिए भी कहा। उन्होंने कहा कि मैं युवा मेधावी छात्रों से ऐसे भारत-विरोधी कहानियों को हटाने और प्रभावहीन करने का आग्रह करता हूं। ऐसी गलत सूचना को मुक्त रूप से फैलने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
उपराष्ट्रपति ने पारदर्शिता और जवाबदेही को मौजूदा सरकार का मुख्य केन्द्र बिन्दु क्षेत्र बताते हुए कहा कि आज भ्रष्टाचार, बिचौलियों और सत्ता के दलालों के लिए कोई जगह नहीं है। ऐसा होने से भ्रष्टाचार में डूबे हुए सभी लोग एक समूह में एकत्रित हो गए हैं। वे छिपने और भागने के लिए सभी ताकतों की तैनाती कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कानून के शासन को चुनौती देने के लिए सड़कों पर होने वाले प्रदर्शन हमारे स्वभाव के सुशासन और लोकतंत्र की पहचान नहीं है।
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