सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मराठा आरक्षण को रद्द करने के बाद जहां पूरा मराठा समुदाय नाराज है, वहीं अब दो पुराने मित्र भी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सरकार को घेरने की तैयारी में हैं। उन्होंने इसके लिए तैयारी भी कर ली है। ये पुराने मित्र कोई और नहीं, बल्कि शिव संग्राम के नेता और रैयत क्रांति संगठन के अध्यक्ष हैं। भाजपा और शिवसेना की युति सरकार में शामिल ये दोनों सहयोगी अब मराठा आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को परेशान करने लगे हैं।
सदाभाऊ की रैयत क्रांति का राज्यव्यापी आंदोलन
मराठा आरक्षण को रद्द किए जाने के बाद सदाभाऊ खोत की रैयत क्रांति संगठन ने अब राज्य भर में आंदोलन शुरू कर दिया है और निकट भविष्य में इस संगठन ने आंदोलन और तेज करने की घोषणा की है। राज्य के पूर्व कृषि मंत्री और रैयत क्रांति संगठन के अध्यक्ष सदाभाऊ खोत ने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मराठा समुदाय को आरक्षण दिलाने के लिए कड़ी मेहनत की थी। लेकिन इस महाविकास आघाड़ी सरकार ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया। जब तक मराठा समुदाय को आरक्षण नहीं मिलेगा, तब तक रैयत क्रांति संगठन चुप नहीं रहेगा।
विनायक मेटे भी आक्रामक
आरक्षण का फैसला रद्द होने के बाद शिव संग्राम नेता विनायक मेटे भी आक्रामक हो गए हैं। उन्होंने आरक्षण उप समिति के अध्यक्ष अशोक चव्हाण से इस्तीफे की मांग की है। उनका कहना है कि चव्हाण मराठा आरक्षण के मुद्दे को सुलझाने में विफल रहे हैं। मेटे ने आरोप लगाया है कि, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी मराठा आरक्षण के मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया। इसलिए, उन्हें राज्य के प्रमुख के रूप में इस्तीफा देना चाहिए।
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मेटे ने की उद्धव ठाकरे से इस्तीफे की मांग
मेटे ने पहली बार मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर मराठा आरक्षण को लेकर सीधा आरोप लगाया और उनके इस्तीफे की मांग की है। मेटे ने कहा कि मुख्यमंत्री को मराठा आरक्षण के लिए केंद्र पर निर्भर रहने की बजाय फिर से आरक्षण प्रस्ताव तैयार करना चाहिए और उसे केंद्र को सौंपना चाहिए तथा आगे की कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने घोषणा की है कि हम लॉकडाउन खत्म होने के बाद बीड में अशोक चव्हाण के खिलाफ मोर्चा निकालेंगे और किसी भी मंत्री को राज्य में निकलने नहीं देंगे।
एक समिति बनाएं और परामर्श लें
मेटे ने कहा कि सरकार को तुरंत विधिमंडल का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाना चाहिए, ताकि पता चले कि कौन सच्चा है और कौन झूठा। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का अध्ययन करने के लिए एक समिति गठित करना चाहिए,जिसमें वरिष्ठ वकीलों को शामिल किया जाना चाहिए। 15 दिनों में इस समिति की राय जानकर आगे की कार्रवाई की जानी चाहिए। मेटे ने कहा कि ईडब्ल्यूए के तहत तुरंत मराठों को आरक्षण दिया जाए और 6,000 से 7,000 युवाओं को नौकरी दी जाए।