एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर शीघ्र फैसला लेने का निर्देश देने की मांग करते हुए शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के विधायक सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को निर्देश देने की मांग की है कि अयोग्यता याचिकाओं पर शीघ्र फैसला करें। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के फैसले का हवाला दिया गया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि स्पीकर लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर उचित अवधि के भीतर फैसला करें। इस आदेश के बावजूद महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया है जबकि याचिकाकर्ता इस संबंध मे स्पीकर को पहले ही तीन ज्ञापन दे चुके हैं।
गौरतलब हो कि महाराष्ट्र की रातजीति में पिछले माह से ही काफी उथल-पुथल चल रहा है। पहले बाला साहब ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना में फूट पड़ी, जिसके अगुवा थे शिवसेना विधायक एकनाथ शिंदे। एकनाथ शिंदे ने अपने साथ 40 विधायकों का समर्थन होने का दावा करते हुए भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली और खुद राज्य का मुख्यमंत्री बन गये। शिंदे के इस खेल से पहली बार संवैधानिक रूप से राजनीतिक कार्यभार संभालने वाला ठाकरे परिवार अपना पूरा कार्यकाल भी पूरा नहीं कर पाया। शिवसेना के दोनों गुटों में वास्तविक शिवसेना होने की अभी रस्साकशी चल ही रही थी कि राज्य की एक और महत्वपूर्ण पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में भी फूट पड़ गयी है। राकांपा प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने ही इस फूट का नेतृत्व किया है। अब चाचा-भतीजे दो खेमों में बंटकर अपने-अपने वजूद की लड़ाई लड़ने में जुट गये हैं। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि महाराष्ट्र की राजनीति में अभी और घमासान होने के आसार नजर आ रहे हैं।
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