Maharashtra Politics: भाजपा के समाने बड़े भाई बनने वाले उद्धव ठाकरे कांग्रेस के सामने बन गए छोटे भाई!

2014 में उद्धव ठाकरे भाजपा से बड़े भाई-छोटे भाई के मुद्दे पर लड़ रहे थे। 151 से कम सीटें उद्धव ठाकरे को मंजूर नहीं थीं। इसके चलते उनका भाजपा से गठबंधन टूट गया।

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भाजपा (BJP) के बड़े भाई (Elder Brother) की तरह लड़ने वाले उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) कांग्रेस (Congress) के सामने छोटे भाई (Younger Brother) बन गये हैं। सूत्रों के अनुसार, महाविकास अघाड़ी (Maha Vikas Aghadi) में कांग्रेस सबसे अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी, उसके बाद उद्धव ठाकरे की शिवसेना (Shiv Sena) और शरद पवार (Sharad Pawar) की एनसीपी (NCP) होगी।

2014 में उद्धव ठाकरे भाजपा से बड़े भाई-छोटे भाई के मुद्दे पर लड़ रहे थे। 151 से कम सीटें उद्धव ठाकरे को मंजूर नहीं थीं। इसके चलते उनका भाजपा से गठबंधन टूट गया। भाजपा और शिवसेना अलग-अलग लड़े। उस चुनाव में 122 सीटें जीतकर भाजपा सही मायने में महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी और बड़ा भाई बन गया। जैसे ही शिवसेना को 63 सीटें मिलीं, वह स्वचालित रूप से छोटा भाई बन गया। अब महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस की ‘धमकाने’ की शुरुआत हो गई है। ठाकरे और पवार स्वतः ही दूसरे और तीसरे भाई बन गए हैं।

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लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का परचम लहराया
बता दें कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का स्ट्राइक रेट सबसे ज्यादा रहा। कांग्रेस पार्टी ने 17 में से 14 सीटें जीतीं और नंबर एक स्थान पर रही। पवार की पार्टी ने 10 में से 8 सीटें जीतीं और तीसरे स्थान पर रहीं। हालांकि उद्धव ठाकरे की शिवसेना 9 सीटें जीतकर दूसरे स्थान पर रही, लेकिन उसका स्ट्राइक रेट सबसे कम रहा। क्योंकि ठाकरे की शिवसेना ने 21 में से 9 सीटों पर जीत हासिल की थी।

कांग्रेस के सामने मजबूर हुए ठाकरे और पवार
यही कारण है कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में सीटों के आवंटन में स्ट्राइक रेट के आधार को सबसे महत्वपूर्ण कारक माना। उसी आधार को स्वीकार करने के लिए उद्धव ठाकरे और शरद पवार को मजबूर होना पड़ा। इसके आधार पर सीटों के बंटवारे में कांग्रेस को 105 से 110 सीटें, उद्धव ठाकरे की शिवसेना को 95 से 100 सीटें और शरद पवार की एनसीपी को 85 सीटें मिलीं। इसका मतलब यह है कि बड़े भाई के भेष में भाजपा से लड़ने वाले उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस के सामने अपना भाला फेंक दिया और छोटे भाई बन गये। लेकिन शरद पवार का स्ट्राइक रेट उद्धव ठाकरे से बेहतर होने के बावजूद भी शरद पवार उद्धव ठाकरे को मात नहीं दे सके। सीट आवंटन के नतीजों से भी यही बात सामने आई।

असहनीय और अवर्णनीय हो गई है उबाठा
सीट बंटवारे के इस फॉर्मूले को उद्धव ठाकरे की शिवसेना को मानना ​​ही होगा क्योंकि उनके सामने कोई दूसरा विकल्प नहीं है। वर्तमान समय में उद्धव ठाकरे की शिवसेना की स्थिति असहनीय और अवर्णनीय हो गई है। (Maharashtra Politics)

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