संयुक्त राष्ट्र की महासभा में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 24 सितंबर को कहा कि रूस- यूक्रेन में संघर्ष ने दुनिया में खाद्य पदार्थों और ऊर्जा से जुड़ी मुद्रास्फीति को बढ़ा दिया है तथा इसे इस समय की सबसे बड़ी चुनौती बना दिया है।
उन्होंने कहा कि भारत ने हाल के वर्षों में अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, यमन और कई अन्य देशों को अनुदान देने समेत खाद्यान्न की आपूर्ति करके अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
खास बातेंः
-जयशंकर ने यहां एक विशेष इंडिया 75 शोकेसिंग इंडिया-यूएन पार्टनरशिप इन एक्शन कार्यक्रम में संबोधन के दौरान कहा कि भारत अपनी स्वतंत्रता के 100वें वर्ष यानी 2047 तक खुद को एक विकसित देश के रूप में देखता है।
-जयशंकर ने कहा कि हम अपने गांवों को डिजिटल बनाने और चांद पर पहुंचने का सपना देखते हैं। संभवत: इसका डिजिटलीकरण कर भी कर रहे हैं। हमारा विश्वास है कि भारत का विकास बाकी दुनिया से जुड़ा हुआ है, जिसे अलग नहीं किया जा सकता।
-इस कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र के अध्यक्ष साबा कोरोसी, संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव अमीना मोहम्मद, मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद और यूएनडीपी प्रशासक अचिम स्टेनर सहित संयुक्त राष्ट्र के गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।
-जयशंकर ने कहा कि भारत का मानना है कि विकास सार्वजनिक हित है और ओपन सोर्सिंग आगे बढऩे की सबसे अच्छी राह है।
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