उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 31 अक्टूबर को यहां उत्तराखण्ड महोत्सव का शुभारंभ किया। उत्तराखण्ड महापरिषद की ओर से आयोजित महोत्सव के बारे में कहा कि ऐसे आयोजन अपनी संस्कृति को जानने तथा इसे देश व दुनिया तक पहुंचाने का बेहतरीन माध्यम होते हैं।
उत्तराखंड में ‘समान नागरिक संहिता’ शीघ्र लागू होगी : मुख्यमंत्री धामी
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने उत्तराखंड में सरकारी भूमि पर अवैध अतिक्रमण के विरूद्ध सख्त कार्रवाई करते हुए लगभग 3300 एकड़ सरकारी जमीन मुक्त करवाई है। इसके साथ-साथ जहां एक ओर हम ‘धर्मांतरण और लव जेहाद’ के खिलाफ कठोर कानून लेकर आए, वहीं हम ‘समान नागरिक संहिता’ भी प्रदेश में जल्द ही लागू करने की तैयारी कर रहे हैं। उत्तराखंड में हमने देश का सबसे सख्त ‘नकल विरोधी कानून’ भी लागू किया है, जिसके लागू होने के बाद आज हमारे युवा प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्साह के साथ प्रतिभाग कर रहे हैं और अपनी योग्यता के अनुसार सफलता अर्जित कर रहे हैं।
आने वाली पीढ़ी को लोक संस्कृति से परिचित कराने का कार्य
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड महोत्सव जैसे आयोजन हमारी लोक विरासत को संरक्षण प्रदान करने के साथ ही आने वाली पीढ़ी को लोक संस्कृति से परिचित कराने का कार्य कर रहे हैं। राष्ट्र और संस्कृति को प्रत्यक्ष रूप से जानने का अवसर प्रदान करने वाला यह उत्तराखण्ड महोत्सव, निश्चित रूप से हमारी आगामी पीढ़ी के लिए सामाजिक समरसता को प्रगाढ़ करने का भी कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे महोत्सवों के आयोजनों के माध्यम से हमारे राज्य के कलाकारों को भी एक मंच प्राप्त होता है और उनकी कला को प्रोत्साहन मिलता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आज उत्तराखण्ड का ही नहीं बल्कि पूरे देश का भी सांस्कृतिक वैभव बढ़ रहा है।
विदेशों में जीवित है उत्तराखंड की संस्कृति
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि अपने हाल ही में लंदन, दुबई,अबू धाबी के दौरे के दौरान उन्होंने देखा कि हमारे भारतीय और विशेष रूप से उत्तराखण्डी लोग आज भी अपनी संस्कृति, अपनी सभ्यता को नहीं भूले हैं। वे लोग विदेशी जमीन पर रहकर भी भारतीय संस्कृति और परम्पराओं को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। लंदन और दुबई में उत्तराखण्डी भाई-बहनों से मिलकर एक पल के लिए लगा कि वे उत्तराखण्ड में ही हैं। ऐसा ही अनुभव उन्हें लखनऊ आकर भी हो रहा है।
अपनी संस्कृति को बचाए रखना जरुरी
आज के दौर में अपनी संस्कृति एवं परम्पराओं को सहेजना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि अपनी माटी, अपनी संस्कृति और अपनी परम्परा से कटा व्यक्ति त्रिशंकु की भांति न इधर का रहता है और न ऊधर का। इसलिए यदि हमें आगे बढ़ना है तो अपनी परंपराओं और संस्कृति से जुड़े रहना होगा। उन्होंने लखनऊ में निवासरत उत्तराखण्डवासियों से अपील की कि वे अपने-अपने गांव में वर्ष में एक या दो बार अवश्य आएं। इससे हमारी भावी पीढ़ी उत्तराखण्ड की परम्पराओं से परिचित तो होगी ही, उत्तराखण्ड की संस्कृति और लोक परंपराओं को भी बढ़ावा मिलेगा।
लखनऊ के बारे में कही ये बात
मुख्यमंत्री ने कहा कि लखनऊ में उन्होंने अपना छात्र जीवन गुजारा है। जब भी वह लखनऊ आते हैं तो ऐसा लगता है कि अपने ही शहर में दोबारा आए हैं। उन्होंने इस अवसर पर उत्तराखण्ड महापरिषद (पूर्व कुमाऊँ परिषद) के संस्थापक अध्यक्ष उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री रहे भारत रत्न प.गोविन्द बल्लभ पंत, स्व.दयाकृष्ण जोशी, स्व.मेजर हयात सिंह, स्व.श्री नारायण दत्त तिवारी को भी नमन किया।
ये थे उपस्थित
इस मौके पर मुख्यमंत्री धामी ने पूरन सिंह जीना की पुस्तक सतरंगी का विमोचन करते हुए चन्दन सिंह मेहरा एवं सत्यप्रकाश जोशी को उत्तराखण्ड महापरिषद के हीरक जयंती सम्मान से सम्मानित किया। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के राज्यमंत्री ब्रिजेश सिंह, लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल, उत्तराखण्ड महापरिषद के पदाधिकारी दीवान सिंह अधिकारी, देवेन्द्र सिंह बिष्ट सहित बड़ी संख्या में उत्तराखण्ड के प्रवासी जन उपस्थित थे।