उत्तराखंडः समान नागरिक संहिता को जल्द ही मिलेगा कानूनी रूप !

धर्मों के लिए 'एक देश, एक कानून लागू' करने के लिए ही समान नागरिक संहिता को कानूनी रूप देने की बात भाजपा सरकार के बाद से ही जोरों से चल रही है।

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तीन दिनों पहले भोपाल में नयी वंदे भारत ट्रेनों की शुरुआत के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा समान नागरिक संहिता की जरूरत बताने के बाद पूरे देश में यह चर्चा अभी चल ही रही थी कि भाजपा शासित राज्य उत्तराखंड में इसे संवैधानिक जामा भी पहनाने की तैयारी की खबरें आ रही हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तराखंड की भाजपा सरकार जुलाई के दूसरे हफ्ते में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की तैयारी कर रही है और इसी दौरान राज्य में समान नागरिक संहिता लागू की जा सकती है।

समान नागरिक संहिता के बाबत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट बनाने वाली कमेटी ने एक साल से अधिक समय से लोगों के बीच जाकर काम किया है। उन्होंने कहा कि ड्राफ्ट लगभग पूरा होने की तरफ है। हमें जैसे ही ड्राफ्ट मिलेगा, हम उसका अवलोकन करेंगे। उसके बाद उसे आगे की कार्रवाई में बढ़ाएंगे।

 सूत्रों से यह भी पता चला है कि विशेष सत्र के दौरान विधानसभा में जस्टिस देसाई समिति के मसौदा को मंजूरी देने के बाद उसे कानूनी रूप देने के लिए प्रस्ताव को पास कराया जाएगा। गौरतलब हो कि सभी धर्मों के लिए ‘एक देश, एक कानून लागू’ करने के लिए ही समान नागरिक संहिता को कानूनी रूप देने की बात भाजपा सरकार के बाद से ही जोरों से चल रही है। समान नागरिकता संहिता का सीधा मतलब है कि देश में सभी के लिए एक बराबर कानून। यानी सभी धर्मों के लिए विवाह और तलाक के लिए देश में एक कानून। बच्चा गोद लेने, संपत्ति बंटवारे पर भी एक कानून लागू होगा। ऐसे में अगर भारत में समान नागरिक संहिता को लागू होती है। तो सभी धर्मों के लिए ‘एक देश, एक कानून लागू’ होगा।

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