महाराष्ट्र की राजनीति में चर्चा है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील दिल्ली जाने के बाद भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से नहीं मिल पाए। कहा यह भी जा रहा है कि शाह पाटील से नाराज हैं। इस कारण उनका प्रदेश अध्यक्ष पद खतरे में है।
आश्चर्य की बात यह भी है कि एक तरफ अमित शाह ने चंद्रकांत पाटील को मिलने का वक्त नहीं दिया तो वहीं कांग्रेस से भरतीय जनता पार्टी में आए दो पाटीलों से उन्होंने मुलाकात करना जरुरी समझा। इस बात को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या शाह के लिए चंद्रकांत पाटील की अपेक्षा बाहर से आए दोनों पाटीलों का महत्व ज्यादा है।
कांग्रेस से आए पाटील से इसलिए मिले शाह
बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए पूर्व कांग्रेस नेता राधाकृष्ण विखे-पाटील और हर्षवर्धन पाटील फिलहाल पार्टी में किसी भी पद पर नहीं हैं, जबकि चंद्रकांत पाटील भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। इसके बावजूद दोनों पाटील अमित शाह से मुलाकात करने में सफल रहे। बता दें कि राधाकृष्ण विखे-पाटील और हर्षवर्धन पाटील महाराष्ट्र में मंत्री पद संभाल चुके हैं। हर्षवर्धन पाटील सहकारिता राज्य मंत्री भी थे। इसलिए उन्हें राज्य में सहकारिता के बारे में अच्छी जानकारी है। अमित शाह देश के पहले सहकारिता मंत्री बनाए गए हैं और वे इन दिनों सभी राज्यों से सहकारिता सीख रहे हैं। पता चला है कि इसी वजह से अमित शाह ने इन दो दिग्गज नेताओं से मुलाकात की, जिनके पास सहकारिता के क्षेत्र का व्यापक अनुभव है।
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‘शाह-पीएम से इसलिए नहीं हो पाई मुलाकात’
चंद्रकांत पाटील अमित शाह से क्यों नहीं मिल पाए? इसे लेकर तरह-तरह की चर्चा जारी है। लेकिन इस तरह की चर्चा को पाटील ने बेबुनियाद बताया है। उन्होंने अपने दौरे का विवरण देते हुए कहा कि हमारी जेपी नड्डा और भारतीय जनता पार्टी के कुछ अन्य नेताओं से मिलने की योजना थी। यह योजना 15 दिन पहले बनाई गई थी। इसमें अमित शाह ओर पीएम से मिलने की कोई योजना नहीं थी। हम केवल उन्हें अभिभावदन करने के लिए मिलना चाहते थे। लेकिन लोकसभा और राज्यसभा के ठीक से नहीं चलने के कारण वे तनाव में थे। इसलिए हमने उनसे मिलना जरुरी नहीं समझा।
‘तूल देना उचित नहीं’
पाटील ने कहा कि शाह से मेरी मुलाकात न होने की बात को इतना ज्यादा तूल देना उचित नहीं है। वे फडणवीस से मिले, मुझसे नहीं मिले, शाह ने मुझसे मिलने से इनकार कर दिया, इस तरह की बातें करना उचित नहीं है। पाटील ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस हर 8-10 दिन में दिल्ली जाते हैं। हमारे पास कोई ऐसा मुद्दा नहीं था। फडणवीस और शाह भी लोकसभा में मिले थे। शाह का शेड्यूल बहुत टाइट था। इसलिए वे मुझसे नहीं मिल सके। इसमें कोई ऐसी बात नहीं है, जिसे लेकर अटकलें लगाई जाएं।