नारायण राणे को महाड जिला दंडाधिकारी न्यायालय से जमानत मिल गई है। महाड दंडाधिकारी न्यायालय ने राणे को जमानत दी है। इस प्रकरण की सुनवाई में जिला सरकारी वकील ने सात दिनों की पुलिस हिरासत की मांग की थी, परंतु नारायण राणे के वकील ने स्वास्थ्य कारणों और कानूनी प्रक्रिया के उल्लंघन का हवाला देकर जमानत की मांग की थी। अपने निर्णय में जिला सत्र न्यायालय ने जमानत दे दी।
ऐसे हुई जिरह…
संगमेश्वर से रत्नागिरी पुलिस ने नारायण राणे को गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें महाड लाया गया। जहां रात में उन्हें महाड के जिला सत्र न्यायालय में पेश किया गया। वहां पर सरकारी पक्ष और नारायण राणे के वकील में लंबी बहस हुई।
सरकारी वकील ने न्यायालय से सात दिनों की हिरासत की मांग की थी। उनकी दलील थी कि नारायण राणे से उनकी धमकी के संदर्भ में पूछताछ करनी है, इसमें अन्य कितने लोग शामिल हैं उसकी जांच करनी है। जिस पर राणे के वकील ने न्यायालय को बताया कि पुलिस ने इस प्रकरण में अपराध दर्ज करने के लिए जो धाराएं लगाई गई हैं वह अयोग्य हैं। इसके अलावा जिस अपराध के होने की बात की जा रही है उसके अतंर्गत सजा साढ़े सात साल से कम है, इसके अलावा इस प्रकरण में पुलिस को कोई बरामदगी नहीं करनी है। ऐसी स्थिति में जमानत की राह साफ हो जाती है। राणे के वकील ने न्यायालय से स्वास्थ्य कारणों का हवाला भी दिया था।
ये है प्रकरण
नारायण राणे ने भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा में संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे को थप्पड़ मारने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को यह भी नहीं पता कि देश कब स्वतंत्र हुआ था। उन्होंने कहा कि मैं वहां होता तो उन्हें जोरदार थप्पड़ मारता।
राणे के इस बयान के बाद शिवसेना ने उनके विरुद्ध नासिक, पुणे, महाड में शिकायत दर्ज कराया। जिस पर कार्रवाई को लेकर पुलिस सक्रिय हो गई। इस बीच नारायण राणे ने गिरफ्तारी पूर्व जमानत के लिए न्यायालय में याचिका की थी, जिसे न्यायालय ने ठुकरा दिया। उच्च न्यायालय ने भी नारायण राणे की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इन्कार कर दिया था। जिसके बाद पुलिस की कार्रवाई के लिए अवसर मिल गया।
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