देश में ईंधन की कीमतों में बढ़ोत्तरी निरंतर जारी है। इसे लेकर जन सामान्य सरकार से राहत की आशा लगाए बैठा है, परंतु पिछले कुछ महीनों में जिस प्रकार कीमतों ने सेंचुरी को क्रॉस किया वह चिंता का विषय है। इसे लेकर केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने एक पहल की है, जिससे कितना लाभ पहुंचेगा यह देखना होगा।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तेल उत्पादक और निर्यातक देशों (ओपेक) के महासचिव डॉ.मोहम्मद सानुसी बरकिंडो के साथ परामर्श बैठक की। मंत्री ने कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के कारण उपभोक्ताओं और अर्थव्यवस्था में तेजी से होने वाले सुधार पर पड़ने वाले नकारात्मक परिणामों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि कच्चे तेल की ऊंची कीमतें भारत में बढ़ती महंगाई का कारण बन रही हैं, जो चिंताजनक है।
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दोनों नेताओं ने वर्तमान के तेल बाजार के विकास, तेल की मांग में सुधार के रुझान, आर्थिक विकास के पूर्वानुमान और पारस्परिक हित के अन्य मुद्दों के बीच ऊर्जा चुनौतियों पर काबू पाने पर बातचीत की। धर्मेंद्र प्रधान ने कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के अपने अनुरोध को दोहराया और इस बात पर भी जोर दिया कि कच्चे तेल की कीमतें एक उचित बैंड के भीतर रहनी चाहिए, जो उपभोक्ताओं और उत्पादकों दोनों के परस्पर हित में होगी और वह खपत-आधारित रिकवरी को प्रोत्साहित करेंगी।
आभार भी किया वक्त
धर्मेंद्र प्रधान ने ओपेक महासचिव डॉ. बरकिंडो और प्रमुख सहयोगी देशों सऊदी अरब और यूएई को कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान सहयोग करने, विशेष रूप से दवाओं, आईएसओ कंटेनर, एलएमओ और प्रमुख पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति के लिए आभार व्यक्त किया और उनके कदमों की प्रशंसा भी की। उन्होंने ओपेक के उस अनुमान पर प्रसन्नता व्यक्त की जो दर्शाता है कि भारत 2021 में उभरती अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश होगा।
भारत पहले उच्च स्तरीय ओपेक-इंडिया एनर्जी के बाद से ओपेक के साथ तकनीकी सहयोग, विशेषज्ञों के आदान-प्रदान और अन्य सहयोगों का विस्तार कर रहा है।