Rohit Sharma body shaming case: केंद्रीय खेल और युवा मामलों के मंत्री मनसुख मंडाविया(Mansukh Mandaviya) ने कांग्रेस(Congress) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेताओं पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि इन दलों को खिलाड़ियों के पेशेवर जीवन(Professional life) में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय खिलाड़ी(Indian players) अपने करियर को संभालने में पूरी तरह सक्षम हैं और राजनीतिक दलों(Political parties) को उन पर अनावश्यक टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए।
मनसुख मंडाविया ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “कांग्रेस और टीएमसी को खिलाड़ियों को उनके हाल पर छोड़ देना चाहिए क्योंकि वे अपने पेशेवर जीवन को संभालने में पूरी तरह सक्षम हैं। इन दलों के कुछ नेताओं द्वारा की गई टिप्पणियां, जिनमें बॉडी शेमिंग और खिलाड़ियों की टीम में जगह पर सवाल उठाना शामिल है, न केवल बेहद शर्मनाक हैं, बल्कि पूरी तरह निंदनीय भी हैं।”
खिलाड़ियों की मेहनत और त्याग का अपमान
उन्होंने आगे कहा कि ऐसी टिप्पणियां उन खिलाड़ियों की मेहनत और त्याग का अपमान हैं, जो देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करते हैं। खेल मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार खिलाड़ियों को हरसंभव समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी स्तर पर उनके मनोबल को गिराने वाले बयानों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश के लिए खेल रहे हर एथलीट के सम्मान की रक्षा की जाएगी।
खेल को रखें राजनीति से दूर
मंडाविया ने यह भी कहा कि खेल को राजनीति से दूर रखना जरूरी है। उन्होंने अपील की कि सभी राजनीतिक दल खिलाड़ियों की उपलब्धियों का सम्मान करें और उनके बारे में अनावश्यक और अपमानजनक टिप्पणियों से बचें।
रोहित शर्मा की फिटनेस पर सवाल
उल्लेखनीय है कि हाल ही में कांग्रेस और टीएमसी के कुछ नेताओं ने भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी रोहित शर्मा बॉडी शेमिंग को लेकर अपमानजनक टिप्पणी की थी। कुछ नेताओं ने एक शीर्ष भारतीय खिलाड़ी के फिटनेस स्तर और टीम में उनकी जगह को लेकर सवाल उठाए थे। साथ ही, कथित रूप से उनकी शारीरिक बनावट (बॉडी शेमिंग) को लेकर भी टिप्पणियां की गईं, जिससे खेल जगत में नाराजगी देखी गई। इन बयानों के बाद खेल समुदाय, पूर्व खिलाड़ी और कई सामाजिक संगठनों ने इसका विरोध किया और इसे खेल भावना के खिलाफ बताया। इसी संदर्भ में, खेल मंत्री ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस तरह की टिप्पणियां न केवल अनुचित हैं, बल्कि खिलाड़ियों की मेहनत और त्याग का भी अपमान करती हैं।