अतीक हत्याकांडः सर्वोच्च न्यायालय को सुनना ही होगा यूपी सरकार का पक्ष, ये है कारण

गैंगस्टर अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ हत्याकांड में यूपी सरकार भी सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गई है। उसने एक कैविएट दायर कर न्यायालय से अनुरोध किया है कि वह उसका पक्ष सुने बिना कोई भी फैसला न दे।

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अतीक अहमद (atiq ahmad) और अशरफ अहमद (Ashraf ahmad) की पुलिस हिरासत में हत्या के मामले में यूपी सरकार(UP government) ने सर्वोच्च न्यायालय में कैविएट दायर करके मांग की है कि बिना उसका पक्ष सुने इस मामले में कोई आदेश पास न किया जाए। वकील विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में कमेटी बना कर इस मामले की जांच की मांग की है। विशाल तिवारी की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय (Supreme court) 28 अप्रैल को सुनवाई करेगा।

यूपी सरकार से पहले पूर्व आईपीएस ने भी खटखटाया है सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा
यूपी सरकार(UP government) से पहले पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने भी अतीक अहमद (atiq ahmad)  और उसके भाई अशरफ अहमद (Ashraf ahmad) की पुलिस हिरासत में हत्या के मामले पर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। अमिताभ ठाकुर ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को चिट्ठी लिख कर इस मामले पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया है। ठाकुर ने इसकी जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की है। वकील विशाल तिवारी की याचिका में मांग की गई है कि अतीक अहमद और उसके भाई की पुलिस हिरासत में हुई हत्या की जांच सर्वोच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज से कराई जाए। याचिका में उत्तर प्रदेश में 2017 के बाद हुए 187 एनकाउंटर की जांच करने की मांग की गई है।

अतीक अहमद की पत्नी ने जताई थी आशंका
अतीक अहमद ने मार्च में अपनी हत्या की आशंका जताते हुए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। अतीक अहमद ने आशंका जताई थी कि गुजरात से यूपी ले जाते समय उसकी हत्या की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करने से ये कहते हुए इनकार कर दिया था क्योंकि वो अब गुजरात से यूपी लाया जा चुका था। अतीक अहमद उमेश पाल हत्या मामले में आरोपित था।

15 अप्रैल को कर दी गई थी हत्या
पुलिस 15 अप्रैल की रात को अतीक अहमद (atiq ahmad)  और उसके भाई अशरफ अहमद (Ashraf ahmad) को मेडिकल जांच कराने के लिए प्रयागराज के काल्विन अस्पताल लेकर गई थी। इसी बीच तीन हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाई, जिससे दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। यूपी सरकार पहले ही इस हत्याकांड की जांच इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति अरविंद तिवारी की अध्यक्षता में गठित न्यायिक आयोग को सौंप चुकी है।

सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार
फिलहाल यूपी सरकार (UP government) समेत अन्य याचिकाओं पर भी सर्वोच्च सुनवाई पर सबकी नजर टिकी हुई है। देखना है कि देश का सर्वोच्च न्यायालय(Supreme court) क्या फैसला सुनाता है।

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