उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अब पिछले करीब नौ महीनों से केंद्र के कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे रहे तथाकथित किसानों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। 5 सितंबर को उन्होंने वाराणसी में मुजफ्फरनगर किसान महापंचायत को लेकर उन पर हमला बोलते हुए कहा कि किसान नहीं, उनके नाम पर दलाली करने वाले वर्तमान में ज्यादा परेशान हैं। सीएम ने दावा किया कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद किसानों के लिए हमने सबसे ज्यादा काम किया।
सीएम योगी ने किसानों के लिए अपनी सरकार द्वारा किए गए कामों को गिनाते हुए कहा कि मेरठ से प्रयागराज तक बनने वाली गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना को वाराणसी तक लाने का प्रयास हम कर रहे हैं।
आरोपो का दिया जवाब
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के आरोपों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि गन्ना किसानों का सबसे अधिक बकाया हमने दिया। रमाला चीनी मिल बंद होने की कगार पर थी, जिसे सरकार ने शुरू रखने में हर तरह से मदद की। हमने बंद चीनी मिलों को चलाने का काम किया।
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84 प्रतिशत मूल्य का भुगतान
सीएम ने कहा कि चीनी मिलें केवल गन्ना पेरने तक सीमीति न रहें, इसके लिए भी हमने कोशिश की। वर्ष 2021-2022 पेराई सत्र का 84 प्रतिशत तक गन्ना मूल्य का भुगतान हमने कर दिया है। नया सीजन शुरू होने तक बाकी बचे पैसे भी उन्हें दे दिए जाएंगे।
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पहली बार हुआ किया गया ऐसा काम
किसानों के मुजफ्फरपुर महापंचायत के बारे में बोलते हुए सीएम ने कहा कि मेरे पास इतना समय नहीं था कि मैं उनका पूरा भाषण सुन सकूं, क्योंकि बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का निरीक्षण कर उन्हें राहत पहुंचाना ज्यादा जरुरी है। सीएम ने किसी पार्टी का नाम लिए बिना कहा कि कुछ लोग किसानों को राजनीति करने का मोहरा बना रहे हैं। सीएम ने कहा कि वर्ष 2017 के बाद यूपी में किसान आत्महत्या रुक गई है। हमने पहली बार किसानों से सीधे खरीदी करने और उनकी कीमत सीधे उनके खाते में पहुंचाने का काम किया।