उत्तर प्रदेश में बहुप्रतिक्षीत ग्राम पंचायत के त्रिस्तरीय चुनावों की तारीखों की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू कर दी गई है। 15,19, 26 और 29 अप्रैल को चार चरणों में मतदान कराए जाएंगे। मतों की गिनती 2 मई को की जाएगी।
यह चुनाव उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के लिए काफी महत्वपूर्ण है। देश के बड़े प्रदेशों में शामिल यूपी में होने जा रहे इस चुनाव पर पूरे देश के राजनीतिज्ञों की नजर है।
प्रदेश और पार्टी पर पकड़
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता पिछले चार सालों में तेजी से बढ़ी है। चंद दिन पहले ही उनकी सरकार के चार साल पूरे हुए हैं और इन चार सालों में सीएम योगी की लोकप्रियता सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं, पूरे देश में बढ़ी है। यहां तक कि उनके समर्थक उन्हें भविष्य में देश के प्रधानमंत्री के रुप में देखते हैं। प्रदेश में जहां उनकी पहचान एक दबंग मुख्यमंत्री के रुप में है, वहीं पार्टी में उनकी पहचान एक करिश्माई नेता के रुप में है।
पार्टी के स्टार प्रचारक
देश के चुनावों के दौरान उनकी गिनती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह आदि पार्टी के दिगग्गज नेताओं के साथ स्टार प्रचारक के रुप में होती है। चाहे वह हैदराबाद के महानगरपालिका का चुनाव हो या पश्चिम बंगाल, बिहार के विधानसभा का चुनाव। इस तरह की इमेज को बरकरार रखना सीएम योगी के लिए आसान नहीं है।
नापा जाएगा कद
उत्तर प्रदेश के आने वाले पंचायत चुनवों में एक बार फिर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की परीक्षा होगी। इन पंचायतों में पार्टी को जीत दिलाने की पूरी जिम्मेदारी योगी आदित्यनाथ के कंधों पर होगी। जिस तरह गुजरात के निकाय से लेकर लोकसभा तक के चुनावों तक में पार्टी की जीत से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का कद नापा जाता है, उसी तहर उत्तर प्रदेश के इस पंचायत चुनाव से भी सीएम योगी का कद नापा जाएगा।
श्री राम मंदिर निर्माण से लोकर कोरोन कंट्रोल तक
योगी सरकार के लिए कई सकारात्मक बातें हैं। बीते चार साल में जहां प्रदेश में कोई दंगे नहीं हुए, वहीं कोरोना काल में जिस तरह से सरकार के साथ ही पूरे प्रशासन ने व्यवस्थित तरीके से काम कर उसे कंट्रोल किया, उसकी भी तारीफ पूरे देश में की जा रही है। इसके साथ ही लवजिहाद कानून, राममंदिर का बिना किसी विवाद के निर्माण प्रारंभ कराना और फिर दंगाईयों तथा हिंसात्मक प्रदर्शनकारियों से संपत्ति के नुकासान की वसूली जैसे कई प्रशंसनीय काम इस सरकार ने किए हैं। पंचायत चुनाव में इसका लाभ भाजपा को मिलना तय है।
बढ़ते अपराध ने बढ़ाई चिंता
योगी सरकार में कई प्रशंसनीय काम हुए तो कुछ मामलों में उनकी आलोचनाएं भी खूब हुईं। प्रदेश में हत्या और सामूहिक बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों ने योगी सरकार की इमेज को नुकसान पहुंचाया, वहीं विपक्ष को हमला करने के मौके के साथ ही चुनावी हथियार भी दिए हैं।
2022 में सीएम योगी की बड़ी परीक्षा
यह चुनाव सीएम योगी के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में पंचायत चुनाव में उनकी लोकप्रियता की बड़ी परीक्षा होगी। एक तरह से इस पंचायत चुनाव को विधानसभा के पहले का ट्रेलर माना जा रहा है।
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विपक्ष के पास दम दिखाने का मौका
विपक्षी पार्टियां भी पंचायत चुनाव में अपनी पार्टियों के उम्मीदवारों को जीत दिलाने में कोई कसर नहीं छोडेंगी। दूसरे शब्दों में कहें तो सत्तापक्ष के साथ ही विपक्ष के लिए भी यह एक परीक्षा होगी। अब तक योगी सरकार पर हर मामले में हमला करते रहनेवाले समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के साथ ही बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती के लिए यह चुनाव दम दिखाने का एक मौका है।
बढ़ने लगी हैं चुनावी सरगर्मियां
फिलहाल चुनावों की तारीखों की घोषणा के साथ ही प्रदेश में राजनैतिक सरगर्मियां बढ़ने लगी हैं। इसके साथ ही प्रदेश में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई है। जैसे-जैसे चुनाव की तारीखें करीब आएंगी, वैसे-वैसे राजनैतिक सरगर्मियां और बढ़ेंगी।
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चार चरण में कराए जाएंगे चुनाव
पहले चरण में 18, दूसरे में 20, तीसरे में 20 और चौथे में 17 जिलों में मतदान कराए जाएंगे। पहले चरण के लिए उम्मीदवारों का नामांकन 3 और 4 अप्रैल को होगा। दूसरे चरण का नामांकन 7 और 8 अप्रैल को, तीसरे चरण के लिए नामांकन 13 और 15 को तथा चौथे व आखिरी चरण के लिए नामांकन 17 और 18 अप्रैल को होंगे।