यहां लड़े, वहां लदे… पढ़िये आईपीएस अधिकारियों के अजब गजब खेल

केंद्रीय गृह मंत्रालय की स्क्रीनिंग में उत्तर प्रदेश के तीन आईपीएस अधिकारियों की सेवा में अनियमितता पाई गई थी। जिसके बाद ऑल इंडिया सर्विस रूल्स के अंतर्गत इन्हें सेवा से समय पूर्व ही निवृत्त कर दिया गया है।

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महाराष्ट्र में आईपीएस अधिकारी सरकार से परेशान हैं तो यूपी में सरकारें आईपीएस से परेशान थीं। महाराष्ट्र के आईपीएस अधिकारियों ने लेटर बम और न्यायालय का खापर राज्य सरकार के सिर फोड़ा है तो वहीं यूपी में तीन आईपीएस अधिकारियों का समय से पहले ही सेवा का दिन लद गया है।

लोकसेवा सेवा के बारे में कहा जाता है कि इसे पाने में जितना परिश्रम है उसके बाद उतना ही आराम भी होता है। लेकिन वर्तमान में दो राज्यों में जो परिस्थिति देख रहे हैं उसे देखते हुए यह सटीक नहीं बैठता है। इन दोनों ही राज्यों में एक में अधिकारियों ने त्राहिमाम कह दिया है तो दूसरी जगह त्राहि से अधिकारियों की छुट्टी कर दी गई है। यह राज्य है यूपी जहां आईपीएस अधिकारियों के सेवा वाले दिन लद गए हैं। इसमें सबसे चर्चित नाम था अमिताभ ठाकुर का इसके अलावा राजेश कृष्ण, राकेश शंकर।

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अमिताभ ठाकुर : उत्तर प्रदेश के चर्चित आईपीएस अधिकारी हुआ करते थे। वे 1992 बैच के अधिकारी हैं। अच्छी कविताएं और कहानियां भी लिखते हैं। लेकिन करियर फ्रंट में उनकी 2015 में समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव से अनबन ने उनकी प्रगति के ग्राफ की कहानी बिगाड़ दी। उन पर बलात्कार का मामला भी दर्ज कराया गया था, 2010 में गोंडा जिले में शस्त्र लाइसेंस को लेकर हुई धांधली में उनका नाम जुड़ा था। वे 16 नवंबर, 1993 को अपनी सेवा शुरू करते ही संपत्ति की जानकारी प्रशासन को न देने के आरोप में निलंबित हो गए थे। इसके अलावा गैर विभागीय कार्यों में दखलंदाजी का आरोप भी उन पर लगा था।

राजेश कृष्ण : घटना दो वर्ष पहले की है। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में खेतों में पीएसी के जवान धान काट रहे थे। इन सिपाहियों ने आरोप लगाया था कि आईपीएस अधिकारी राजेश कृष्ण उनसे धान कटवा रहे हैं। हालांकि, इन आरोपों को राजेश कृष्ण ने गलत करार दिया था। राजेश कृष्ण सेना नायक 10वीं बटालियन बाराबंकी में तैनात थे। उनका नाम आजमगढ़ पुलिस भर्ती घोटाले में भी सामने आया था। राजेश कृष्ण 2005 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं।

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राकेश शंकर : डीआईजी स्थापना के पद पर तैनात राकेश शंकर की भी छुट्टी कर दी गई है। उनका नाम देवरिया शेल्टर होम प्रकरण में भी सामने आया था। राकेश शंकर 2004 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं।

इन अधिकारियों में सेवा के दौरान गंभीर अनियमितता पाई गई थीं। जिसके कारण उन्हें सरकारी सेवा के अनुपयुक्त पाया गया था। इसी का संज्ञान लेते हुए उन्हें अनिवार्य सेवा निवृत्ति दे दी गई थी।

महाराष्ट्र में न्यायालय की शरण
परमबीर सिंह : मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने अपने स्थानांतरण के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है। उन्होंने अपनी याचिका में गृह मंत्री अनिल देशमुख के प्रकरण पर सीबीआई की मांग की है।

संजय पांडे : आईपीएस अधिकारी संजय पांडे भी अगले दो दिनों में राज्य पुलिस महानिदेशक की नियुक्ती के निर्णय को चुनौती के लिए याचिका दायर करेंगे।

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