चुनाव से पहले राजस्थान की राजनीति में उबाल, गहलोत के वार पर वसुंधरा राजे का पलटवार

बीजेपी की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस दावे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है कि उन्होंने और दो अन्य भाजपा नेताओं ने सचिन पायलट की बगावत के दौरान 2020 में गहलोत की सरकार को बचाने में मदद की थी।

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भारतीय जनता पार्टी( बीजेपी) की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस दावे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है कि उन्होंने और दो अन्य भाजपा नेताओं ने सचिन पायलट की बगावत के दौरान 2020 में गहलोत की सरकार को बचाने में मदद की थी। उनके दावों को अपमान और साजिश बताते हुए, वसुंधरा राजे ने गहलोत को प्रथम सूचना रिपोर्ट( एफआईआर) दर्ज कराने की चुनौती दी।

सवाल यह भी है कि गहलोत को राजस्थान में इसी वर्ष होने वाले चुनाव से ऐन पहले क्यों ये बात याद आई। तीन वर्ष तक उन्होंने इस बारे में कोई बात नहीं कही, जबकि सचिन पायलट का उनके साथ मनमुटाव लगातार जारी है।

वसुंधरा राजे का पलटवार
बीजेपी की वरिष्ठ नेता ने कहा कि अगर अशोक गहलोत के पास सबूत है कि उनके विधायकों ने रिश्वत स्वीकार की थी, तो उन्हें एफआईआर दर्ज करानी चाहिए। 7 मई की देर शाम जारी एक बयान में, वसुंधरा राजे ने कहा कि गहलोत ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ आरोप लगाकर उनका अपमान किया है। भारतीय जनता पार्टी इस तरह की गंदी राजनीति में न विश्वास रखती है और ना तो करती है।

अशोक गहलोत के बयान का राजनीतिक अर्थ
गहलोत की टिप्पणियों को वर्तमान समय में दोधारी तलवार के रूप में देखा जा रहा है। पहला तो वह राज्य में इसी वर्ष होने वाले चुनावों से पहले वसुंधरा राजे पर हमला करती है और साथ ही सचिन पायलट और उनके समर्थकों पर भी निशाना साधती है। सचिन पायलट राजस्थान में कांग्रेस की जीत के बाद मुख्यमंत्री पद के गहलोत की दावेदारी को चुनौती दे सकते हैं।

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ये है मामला
जुलाई 2020 में, गहलोत के तत्कालीन डिप्टी सचिन पायलट और उनके 18 वफादारों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के हस्तक्षेप के बाद महीने भर से चला आ रहा संकट समाप्त हुआ था। लेकिन उसके बाद पायलट को उपमुख्यमंत्री के साथ ही राज्य कांग्रेस अध्यक्ष के पद से भी हाथ धोना पड़ा था।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने क्या कहाः
वसुंधरा राजे के गृह क्षेत्र धौलपुर में बोलते हुए गहलोत ने कहा कि वसुंधरा राजे, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल और विधायक शोभरानी कुशवाह के समर्थन से उनकी सरकार को बचाया जा सका था। गहलोत में कांग्रेस में विद्रोह के लिए भाजपा की साजिश को जिम्मेदार ठहराया। गहलोत ने कहा, “(केंद्रीय मंत्रियों) अमित शाह, गजेंद्र सिंह शेखावत और धर्मेंद्र प्रधान ने मिलकर मेरी सरकार को गिराने की साजिश रची थी।”

कांग्रेस विधायकों पर कसा तंज
गहलोत ने कहा, “उन्होंने राजस्थान में पैसे बांटे और वे अब पैसे वापस नहीं ले रहे हैं। मुझे आश्चर्य है कि वे उनसे (विधायकों) पैसे वापस क्यों नहीं मांग रहे हैं।”अशोक गहलोत ने कांग्रेस के बागी विधायकों पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्हें पैसा लौटा देना चाहिए, ताकि वे बिना किसी दबाव के अपना कर्तव्य निभा सकें। उन्होंने कहा, “मैंने विधायकों से यहां तक कहा है कि उन्होंने जो भी पैसा लिया है, 10 करोड़ रुपये या 20 करोड़ रुपये, अगर आपने कुछ भी खर्च किया है, तो मैं वह हिस्सा दूंगा या एआईसीसी (अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी) से प्राप्त करूंगा।”

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गहलोत को बताया एक नंबर का झूठा
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी भी गहलोत पर निशाना साधते हुए उन्हें “लायर नंबर वन” कहा है। शेखावत ने ट्वीट किया, “(अशोक) गहलोत एक नबंर के झूठे हैं। यदि वे इतने ही सच्चे हैं, तो उन्होंने करोड़ों लेने वालों के खिलाफ मामले दर्ज क्यों नहीं करवाए? यह कांग्रेस की आंतरिक लड़ाई है और गहलोत इसे जीतने के लिए हर अनुचित तरीके का इस्तेमाल कर रहे हैं।”

विरोधियों का आरोप
बता दें कि गहलोत और राजे को कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जाता है लेकिन उनके विरोधियों का आरोप है कि जब भ्रष्टाचार के आरोपों की बात आती है तो ये दोनों एक दूसरे के प्रति नरमी बरतते हैं।

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