प्रियांक खड़गे हों या राहुल गांधी, कांग्रेसी हमेशा वीर सावरकर का अपमान(Insult of Veer Savarkar) करते रहे हैं। कांग्रेस की पिछली मंडली भी वीर सावरकर का अपमान करती थी। इसका कारण यह है कि वीर सावरकर की विचारधारा हिंदुत्व के आधार पर भारत को एकजुट करने की थी, हिंदुओं के बीच भाईचारा बढ़ाना सावरकर का हिंदुत्व था। उनका हिंदुत्व ऐसा नहीं था, जिसने समाज को बांटने का काम किया। इसलिए कांग्रेस के नेताओं को अपना अध्ययन बढ़ाना चाहिए। वीर सावरकर के पोते सात्यकी सावरकर ने यह बात हिंदुस्थान पोस्ट(Hindusthan Post से बात करते हुए कही।
कर्नाटक कांग्रेस के नेता प्रियांक खड़गे(Karnataka Congress leader Priyank Kharge) ने वीर सावरकर की आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि अगर वे विधानसभा अध्यक्ष होते तो बेलगाम( की विधानसभा से वीर सावरकर की तस्वीर हटा देते। उन लोगों की तस्वीरें वहां नहीं लगनी चाहिए, जिनकी विचारधारा नफरत और विभाजन को बढ़ावा देती है। इसलिए मेरी राय है कि सावरकर की तस्वीर विधानसभा में नहीं होनी चाहिए। सात्यकी सावरकर ने खड़गे के इस बयान की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि उन्होंने वीर सावरकर का अपमान किया है।
…इसलिए वीर सावरकर को दो आजीवन कारावास की सजा मिली
सात्यकी सावरकर ने कहा,”वीर सावरकर को 25-25 वर्ष की 2 आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। वे लगातार ब्रिटिश साम्राज्य को उखाड़ फेंकने की कोशिश कर रहे थे, चाहे वह 1857 स्वातंत्र्य समर की रचना करना हो या ब्रिटेन जाकर युवा संगठन तैयार करना हो, या फिर भारत में क्रांतिकारियों को बम, पिस्तौल पहुंचाना हो, इसके माध्यम से उन्होंने ब्रिटिश उपनिवेशों को नष्ट करने की कोशिश की और भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को उखाड़ फेंकने की कोशिश की। अंग्रेजों को जब बात मालूम हुई तो उन्होंने उन्हें देश से हजार-बारह सौ किमी दूर अंडमान भेज दिया। इस दृष्टि से वीर सावरकर निश्चित ही एक महान व्यक्तित्व थे। वे एक स्वतंत्रता सेनानी थे। उनकी उपलब्धियां महान हैं। इस बारे में बताने की जरुरत नहीं है।”
वीर सावरकर वीर लोकतंत्र के पक्ष में काम कर रहे थे। कांग्रेस का आरोप है कि वीर सावरकर हिटलरशाही लाना चाहते थे। वास्तव में वीर सावरकर लोकतंत्र के पक्षधर थे। इसके कई उदाहरण हैं। उनका मुस्लिम लीग के साथ विवाद था लेकिन कांग्रेस वोट की राजनीति के लिए मुसलमानों को अपने पक्ष में कर रही थी, जो वह अब भी करती है। सात्यकी सावरकर ने यह भी कहा कि वीर सावरकर के विचार कांग्रेस को स्वीकार्य नहीं हैं, इसलिए वे वीर सावरकर का विरोध कर रहे हैं।
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