देश के पांच राज्यों के चुनाव के फैसले का दिन आ गया है। इसे लेकर विभिन्न पार्टी के नेताओं के दिल की धड़कन बढ़ गई है। चुनाव प्रचार की घोषणा के बाद से अपनी जीत के दावे करने वाली पार्टियों के सामने सच्चाई आने ही वाली है। मतगणना के साथ ही उनके दावे का दम सामने आ जाएगा। इसे 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है। काफी हद तक इन पांच राज्यों में आने वाले परिणाम यह तय करेंगे कि 2024 में देश की राजनीति का परिदृश्य क्या होगा।
सबसे बड़ी परीक्षा तो देश की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी की ही होने जा रही है। पंजाब को छोड़ दें तो उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में उसके लिए फिर से सत्ता प्राप्त करना कोई आसान काम नहीं है।
भाजपा के बाद हर चुनाव में कमजोर हो रही कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। पंजाब में फिर से सरकार स्थापित करना उसके लिए लोहे के चने चबाने से कम दुष्कर नहीं है।
तीसरी पार्टी है, समाजवादी पार्टी। उत्तर प्रदेश में भाजपा की विदाई का ढोल पिट रही सपा को बहुमत मिलने का सपना देखना तो छोड़ ही देना चाहिए, कुछ सीटें बढ़ जाना भी उसके लिए राहत की बात होगी। बसपा और अन्य पार्टियों को अपनी हैसियत का एहसास है और इन्हें पहले जितनी सीटें मिल जाएं तो भी संतोष होना चाहिए।
जिन पांच राज्यों के परिणाम 10 मार्च को आने हैं, उनमें उत्तर प्रदेश सबसे महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि दिल्ली की कुर्सी की राह इस प्रदेश से ही होकर जाती है। मतलब उत्तर प्रदेश में जिस पार्टी की सरकार होती है, केंद्र में भी उसकी ही सरकार बनती है। इस बात को भाजपा भी अच्छी तरह समझती है। इसलिए उसने इस प्रदेश के चुनाव प्रचार में सबसे ज्यादा ताकत झोंकी है।
उत्तर प्रदेश
कहने को तो उत्तर प्रदेश में कई पार्टियां चुनाव मैदान में हैं। लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा में ही है। हालांकि स्थितियां जिस तरह की बन रही हैं, उसके अनुसार यहां भाजपा की वापसी तय मानी जा रही है। वहीं सपा के दूसरे नंबर पर बने रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। बसपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को यहां कोई खास सफलता मिलती नहीं दिख रही है। जहां तक सीटों की बात है तो भाजपा यहां 300 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज करने का दावा कर रही है, लेकिन सीटें कम ज्यादा होने की पूरी गुंजाइश है। 2017 में प्रदेश में भाजपा को बंपर 312 सीटों पर प्रचंड जीत प्राप्त हुई थी। सपा 54 सीटों पर जीत हासिल कर दूसरे क्रमांक की पार्टी रही थी। तीसरे नंबर पर बसपा (19 ) और चौथे क्रमांक पर कांग्रेस( 7) रही थी। यहां सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा 202 है, जिसे भाजपा आसानी से प्राप्त कर सकती है।
उत्तराखंड
उत्तराखंड में सीटों की कुल संख्या 70 है। सरकार बनाने के लिए यहां 36 सीटों की जरुरत है। वर्तमान में यहां भाजपा की सरकार है और पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री हैं। इस देवभूमि का हर चुनाव में अलग-अलग चरित्र रहा है। हालांकि यहां टक्कर भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रही है। लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी की एंट्री से समीकरण बिगड़ गया है।
क्या बदलेगी परंपरा?
यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि इस बार भी यह प्रदेश अपनी परंपरा बरकरार रखता है या कोई ऐतिहासिक बदलाव होता है और भाजपा लगातार दूसरी बार अपनी सिक्का जमाने में कामयाब होती है।
पंजाब
पंजाब में सीटों की कुल संख्या 117 हैं, जबकि यहां बहुमत के लिए 59 सीटों पर जीत प्राप्त करना जरुरी है। कांग्रेस के लिए यहां फिर से सत्ता प्राप्त करना आसान नहीं है। एक वर्ष से अधिक समय तक चले किसान आंदोलन ने पंजाब के राजनैतिक समीकरण पूरी तरह बदल दिए हैं। यहां भाजपा पहली बार अकाली से अलग होकर चुनाव मैदान में उतरी है। इसके साथ ही कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस से अलग होकर भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। मतदान होने तक जारी कांग्रेस में अंतर्कलह का प्रभाव कांग्रेस के प्रदर्शन पर पड़ सकता है। इस स्थिति में इस बार कांग्रेस के लिए सरकार बनाने के लिए जरूरी जादुई आंकड़ा प्राप्त करना आसान नहीं है।
खंडित जनादेश के आसार
कुल मिलाकर यहां खंडित जनादेश मिलने के आसार बन रहे हैं। राजनैतिक स्थिति को देखते हुए यहां आम आदमी पार्टी के सत्तासीन होने की तस्वीर भी बन रही है। कांग्रेस इस बात से अच्छी तरह अवगत है। यही कारण है कि उसने चुनावी परिणाम आने से पहले ही अपने 75 उम्मीदवारों को राजस्थान के रिसोर्ट में कैद कर दिया है। यहां भाजपा के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है। कैप्टन के साथ मिलकर चुनाव लड़ने से उसकी सीटें बढ़ सकती हैं।
गोवा
गोवा में भले ही दो टर्म से भाजपा की सरकार हो, लेकिन इस चुनाव में यानी तीसरी बार उसकी वापसी आसान नहीं दिख रही है। उसके लिए राहत की बात यह है कि यहां विपक्षी एकता नहीं हो पाई और अधिकांश पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़कर भाजपा के लिए राह आसान कर दी। हालांकि कांग्रेस पिछली बार यहां सबसे बड़ी पार्टी बनकर भी सत्ता से दूर हो गई थी। इस बार उसकी कोशिश पुरानी गलती से बचने की है। हालांकि तृणमूल कांग्रेस पार्टी और आम आदमी पार्टी की प्रभावशाली एंट्री ने भाजपा की नहीं, कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाई हैं।
मणिपुर
मणिपुर में कुल सीटों की संख्या 60 है, जबकि यहां का जादुई आंकड़ा 31 है। यहां भाजपा की सरकार है और एन. वीरेन सिंह इस प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। 2017 के चुनाव में बहुमत से मात्र तीन सीट दूर रही कांग्रेस भाजपा के दांव के सामने चित हो गई थी। इस स्थिति में वहां भाजपा की सरकार बनी थी। भाजपा की कोशिश है कि वह इस बार अपनी कमियों को दूर कर सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़े को आसानी से प्राप्त करे। हालांकि उसकी राह में कई बाधाएं हैं। सबसे बड़ी बाधा अफस्पा है। 10 मार्च को यह फैसला हो जाएगा कि भाजपा अपनी सत्ता को बरकरार रखने में सफल होती है या फिर बदलाव की लहर आती है।
चुनाव नतीजों के होंगे दूरगामी परिणाम
इन पांच राज्यों के परिणाम से 2024 के आमसभा चुनाव की तस्वीर स्पष्ट हो सकती है। इसे उसका ट्रेलर माना जा रहा है। भाजपा के बेहतर प्रदर्शन से ब्रांड मोदी को मजबूती मिलेगी। इस चुनाव में कृषि कानून, राम मंदिर, कोरोना का लिटमस टेस्ट होगा। राज्यसभा की भावी तस्वीर तय होगी, इसके साथ ही राष्ट्रपति के इसी साल होने वाले चुनाव पर भी प्रभाव पड़ेगा। आप, टीएमसी मजबूत हो सकती है और कांग्रेस और कमजोर हो सकती है। इसके साथ ही सपा, बसपा और अकाली दल आदि क्षेत्रीय पार्टियों का भविष्य भी तय होगा।