राज्यसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव के फैसले का दिन आ गया है। राज्यसभा चुनाव में हार के बाद इस चुनाव को महाविकास आघाड़ी के लिए अस्तित्व की लड़ाई माना जा रहा है। इसलिए जहां शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी इस चुनाव में पूरी ताकत झोंक रही हैं, वहीं भाजपा एक बार फिर जीत के लिए एड़ीचोटी एक कर रही है। इस चुनाव से पहले ही इन सभी पार्टियों ने मजबूत मोर्चाबंदी कर ली थी। आखिर इस चुनाव में वोटों का गणित क्या है?
जीत का कोटा
राज्य विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 288 है। लेकिन शिवसेना विधायक रमेश लटके के निधन के साथ यह संख्या 287 हो गई है। इनमें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नवाब मलिक और अनिल देशमुख को वोट डालने से मना कर दिया गया है। महाविकास आघाड़ी में तीनों दलों के कुल 6 उम्मीदवार और बीजेपी के 5 उम्मीदवार मैदान में हैं। इसलिए, 285 विधायकों को 11 उम्मीदवारों में बांटा गया है। इस गणना के अनुसार, प्रत्येक उम्मीदवार के निर्वाचित होने के लिए 26 मतों की आवश्यकता होती है।
शिवसेना
शिवसेना के पास कुल 55 विधायक हैं और उसके दो उम्मीदवार हैं, सचिन अहीर और अमशा पड़वी। शिवसेना के पास कुल 8 निर्दलीय और छोटी पार्टियों का समर्थन है, इसलिए शिवसेना के वोटों की संख्या 63 है। शिवसेना ने कोई जोखिम न लेने के लिए अपने वोटों का कोटा 26 से बढ़ाकर 30 कर दिया है। दो उम्मीदवारों को चुनने के बाद उसके पास 3 वोट बचे हैं। लेकिन अगर 8 विधायक फूट गए तो भी शिवसेना के दोनों उम्मीदवार 55 विधायकों के समर्थन से चुन लिए जाएंगे।
राष्ट्रवादी कांग्रेस
मलिक और देशमुख को छोड़कर राकांपा के पास 52 विधायकों का समर्थन है। इसलिए 26 मतों के नियम के तहत रामराजे निंबालकर और राकांपा के एकनाथ खडसे दोनों ही जीत जाएंगे। इसके लिए राकांपा ने पूरी तैयारी की है और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने खुद कमर कस रखी है। उन्होंने राज्य में कई निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल किया है। इसके साथ ही पार्टी के सभी विधायकों को भी चुनाव में सही तरीके से वोट डालने की चेतावनी दी गई है। रामराजे निंबालकर और एकनाथ खडसे ने राज्यसभा चुनाव में गेम चेंजर बहुजन विकास आघाड़ी के हितेंद्र ठाकुर से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की है।
कांग्रेस
विधानसभा में कांग्रेस के कुल 44 विधायक हैं। इसलिए कांग्रेस के पहले उम्मीदवार भाई जगताप इस चुनाव में आसानी से चुने जाएंगे। लेकिन कांग्रेस के एक अन्य उम्मीदवार चंद्रकांत हांडोरे कुल आठ मतों से हार सकते हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए दूसरा उम्मीदवार चुनना चुनौती है। इसलिए शिवसेना और अन्य निर्दलीय उम्मीदवारों के अतिरिक्त वोट मिलने के बाद ही इस चुनाव में हंडोरे की नाव बचेगी।
भाजपा
106+6 निर्दलीय विधायक यानी कुल 112 विधायकों के साथ बीजेपी के कुल 5 उम्मीदवार मैदान में हैं। इसलिए 26 वोटों के कोटे के हिसाब से बीजेपी के चार विधायक प्रवीण दारेकर, उमा खापरे, राम शिंदे और श्रीकांत भारतीय आसानी से निर्वाचित हो जाएंगे। उसके बाद बीजेपी के पास कुल 8 वोट बचे होंगे। बीजेपी के पांचवें उम्मीदवार प्रसाद लाड को जीत के लिए 18 वोटों की जरूरत होगी। बीजेपी के लिए यह टेढ़ी खीर साबित हो सकती है। वैसे, देवेंद्र फडणवीस ने खुद विधायकों की बैठक बुलाकर वोटिंग को लेकर निर्देश दिए हैं। फडणवीस ने कहा, “चूंकि इस चुनाव में गुप्त मतदान होना है। इस स्थिति में महाविकास गठबंधन में केवल आंतरिक असंतोष ही हमें जीत दिलाएगा।” उनकी भविष्यवाणी के मुताबिक यह देखना अहम होगा कि क्या एमवीए के विधायक बंटेंगे और क्या फडणवीस इस चुनाव में राज्यसभा की तरह अपना जलवा दिखाएंगे।