Waqf Amendment Bill: भाजपा की राष्ट्रीय शोध और नीति प्रभारी और प्रमुख महिला नेता डॉ. ज़फ़रीन मेहज़बीन ने कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक ने भारत की मुस्लिम आबादी के हाशिए पर पड़े और वंचित वर्गों के लिए एक काले युग का अंत कर दिया है। इस सुधारात्मक कानून के माध्यम से वक्फ के नाम पर भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए एनडीए सरकार का कदम सराहना है।
मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में कदम
भाजपा महिला नेता डॉ. ज़फ़रीन मेहज़बीन बशिष्ठ स्थित भाजपा के असम प्रदेश मुख्यालय अटल बिहारी वाजपेयी भवन में 7 अप्रैल को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रही थीं। डॉ. मेहज़बीन ने इस बात पर जोर दिया कि यह कानून न केवल जवाबदेही की दिशा में एक कदम है, बल्कि मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाने और सामुदायिक संपत्तियों पर उनके अधिकारों को सुरक्षित करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पहल है। इस्लामी सिद्धांतों के अनुसार, “वक्फ” का अर्थ किसी भी अचल या चल संपत्ति से है जो स्थायी रूप से धार्मिक, धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए समर्पित है। डॉ. मेहज़बीन ने वक्फ के नाम पर भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के इस निर्णायक कदम की सराहना की।
वोट बैंक के लिए थे पहले के संशोधन
डॉ. महजबीन ने कांग्रेस पर वक्फ से संबंधित कानून का इस्तेमाल राजनीतिक तुष्टिकरण के लिए करने का आरोप लगाया। उन्होंने 1995 और 2013 में किए गए संशोधनों का हवाला देते हुए कहा कि इसका उद्देश्य केवल मुस्लिम वोट बैंक को लुभाना था। इसके बाद के दोनों आम चुनाव 1996 और 2014 में कांग्रेस की चुनावी हार हुई और जनता ने भाजपा के राष्ट्रवादी शासन मॉडल को अपनाया। उन्होंने बताया कि भारत में वक्फ की 37.39 लाख हेक्टेयर ज़मीन का एक बड़ा हिस्सा अवैध रूप से कब्ज़ा करके मुट्ठीभर स्वार्थी मुस्लिम नेता दुरुपयोग कर रहे है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के इस साहसिक कदम ने इन निहित स्वार्थों की नींव हिला दी है, जिससे विपक्षी दलों में घबराहट पैदा हो गई है और वे अब भावनात्मक हेरफेर और सांप्रदायिक बयानबाजी का सहारा ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि असम में लगभग 19 हजार बीघा वक्फ भूमि है, जिसका अनुमानित मूल्य 70 हजार से 80 हजार करोड़ रुपये है। फिर भी बड़े पैमाने पर अतिक्रमण और कुप्रबंधन के कारण राजस्व नगण्य रहा है।
गौरव गोगोई पर साधा निशाना
डॉ. महजबीन ने जोरहाट के कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई पर निशाना साधते हुए क्षेत्र की अल्पसंख्यक आबादी के उत्थान के प्रति सांसद की उदासीनता पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि गोगोई के कार्यकाल के दौरान सांसद के स्थानीय क्षेत्र विकास (एमपीएलएडी) कोष से एक भी रुपया विकास के लिए आवंटित नहीं किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि अब वे चुनावी लाभ और मुस्लिम वोट बैंक को खुश करने के लिए वक्फ संशोधन का विरोध करके मगरमच्छ के आंसू बहा रहे हैं। उन्होंने याद दिलाया कि 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक 25 दिन पहले तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 2013 में वक्फ अधिनियम में राजनीति से प्रेरित संशोधन को आगे बढ़ाया, जिसके तहत दिल्ली के वीवीआईपी क्षेत्र में 123 प्रमुख संपत्तियों को तुष्टिकरण की राजनीति के तहत दिल्ली वक्फ बोर्ड को हस्तांतरित कर दिया गया।
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मूल उद्देश्य पूरा
इस संवाददाता सम्मेलन में भाजपा प्रवक्ता डॉ. मोमिनुल ओवाल ने कहा कि इस संशोधन के माध्यम से वक्फ बोर्ड के गठन का मूल उद्देश्य आखिरकार पूरा हो गया है। असम में वक्फ संपत्तियों को लंबे समय से कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों द्वारा सोने के अंडे के रूप में माना जाता रहा है। उन्होंने बताया कि जब वक्फ बोर्ड एक समिति के तहत काम कर रहा था, तब राजस्व संग्रह 80-90 हजार रुपये के आसपास था। लेकिन जब से राज्य सरकार ने हाल के वर्षों में प्रत्यक्ष नियंत्रण अपने हाथ में लिया है, राजस्व बढ़कर 2.56 करोड़ रुपये हो गया है। वास्तव में, अकेले वक्फ आय से, सरकार मुख्यमंत्री राहत कोष में 50 लाख रुपये का योगदान करने में सक्षम थी। डॉ. ओवाल ने जोर देकर कहा कि यह स्पष्ट रूप से भाजपा सरकार के वक्फ सुधारों द्वारा लाई गई प्रभावशीलता और पारदर्शिता को प्रमाणित करता है।