Mathura: राष्ट्रीय स्वयंसेवक के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने 26 अक्टूबर को कहा कि हिन्दू समाज के खिलाफ सक्रिय तत्वों से हमें सावधान रहना होगा। उन्होंने एक गीत का उल्लेख करते हुए कहा कि हिन्दू समाज जब-जब हिन्दू भाव को भूला तो समाज पर बड़ी विपदा आई। हम जाति, भाषा, प्रांत, अगड़ा-पिछड़ा के नाम पर बटेंगे तो हम कटेंगे। इसलिए किसी भी राष्ट्र के नाते एकता आवश्यक है। हिन्दू समाज को संगठित होना आवश्यक है। आज बहुत सारे लोग इसे अनुभव से समझ रहे हैं। हिन्दू समाज का संगठन सुख देने वाला है। इससे अपनी तो रक्षा होगी ही, दुनिया के लिए भी यह मंगल होगा।
संघ की पद्धति के बारे में दी जानकारी
सरकार्यवाह होसबाले मथुरा जिले के परखम में संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की दो दिवसीय बैठक के अंतिम दिन 26 अक्टूबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संघ में हर स्तर के कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण वर्ग पद्धति और परम्परा है। शाखा में आने वाले सामान्य विद्यार्थी से लेकर जिला, प्रांत एवं गृहस्थ कार्यकर्ता, प्रचारक, ऐसे सब प्रकार के कार्यकर्ताओं के लिए भिन्न-भिन्न अंतराल पर हम प्रशिक्षण वर्ग करते हैं। संघ की पद्धति है व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण। संघ कार्यकर्ता निर्माण की प्रक्रिया निरंतर जारी रखता है। उन्होंने बताया कि संघ के विभिन्न आयामों से समाज के विभिन्न आयु वर्ग के लोग जुड़ते हैं, उनके साथ संघ के विचार को कैसे सम्प्रेषित करना चाहिए, इस बैठक में इस पर चर्चा हुई है।
सरकार्यवाह ने कहा कि इस वर्ष संघ ने विजयादशमी पर शताब्दी वर्ष में प्रवेश किया है। आगामी विजयादशमी के बाद शताब्दी वर्ष पर जो भी कार्यक्रम मनाना है उस पर सोच रहे हैं। अभी कार्य विस्तार व कार्य की गुणवत्ता बढ़ाने पर आग्रह था। प्रत्येक स्वयंसेवक पंच परिवर्तन के विषयों को अपनी शाखा, घर, परिवार और मुहल्लों में समाज परिवर्तन के लिए अपने जीवन व्यवहार में लाएं।
मतांतरण व लव जिहाद के बारे में होसबाले ने कहा कि किशोरियों को बचाना हमारा काम है। हमारी युवतियां जानी ही नहीं चाहिए। परिवार में घर में अच्छा संस्कार मिलना चाहिए। केरल में लगभग 200 युवतियों को बचाने का काम हुआ। जो चली गयी थीं वह वापस आयीं। वापस आने के बाद उन युवतियों ने इसके बारे में जागरुकता के लिए काम किया।
सेवा बस्तियों में सेवा कार्य जरूरी
सरकार्यवाह ने कहा कि धर्म जागरण समन्वय के माध्यम से घर वापसी का काम हो रहा है। संघ के स्वयंसेवक मतांतरण न हो और जो चले गये हैं उनकी वापसी के लिए काम कर रहे हैं। मतांतरण से राष्ट्रांतरण होता है। इन विषयों को समाज के सामने लाना चाहिए। समाज का आचरण भी ठीक होना चाहिए। समाज में गरीबी व अस्पृश्यता है। इसलिए सेवा बस्तियों में सेवा कार्य होना चाहिए।
हर आयाम में दिखना चाहिए स्व का भाव
संघ का कार्य ही स्व के जागरण के लिए शुरू हुआ। भारत का स्व यानी यहां की मिट्टी की सुगंध। स्वतंत्रता आंदोलन का स्व राष्ट्रीय स्वत्व है। स्व को हम अपने ग्राम स्वराज में, शिक्षा में, व्यापार में, युद्ध में, स्वास्थ्य में लाएं। हमारी भाषा, संस्कृति, जीवनशैली हमारी सभ्यता के अनुरूप हो। भारत की ज्ञान परम्परा के बारे में आज तमाम पुस्तकें आ चुकी हैं। हमारे हर आयाम में स्व दिखना चाहिए।
देश की भावना के अनुरूप हो वक्फ बोर्ड में संशोधन
वक्फ बोर्ड के बारे में सरकार्यवाह ने कहा कि 2013 तक यह समस्या नहीं थी। वक्फ को पूरा अधिकार दे दिया। जिलाधिकारी भी कुछ नहीं कर सकता। भारत के अंदर एक स्वतंत्र इकाई हो गयी। लक्षित हिंसा विधेयक भी लाया गया था। यह हिन्दू मुस्लिम का विषय नहीं है। मुस्लिम भी वक्फ के शोषण से त्रस्त हैं। किसी पार्टी या समुदाय का प्रश्न नहीं हैं। देश की भावना के अनुरूप इसमें आवश्यक संशोधन करना है।
कांग्रेस व वामपंथियों के लिए भी कुटुंब प्रबोधन चाहिए
होसबाले ने कहा कि हम सिर्फ भाजपा के लिए नहीं बल्कि सबको संदेश देते हैं। कुटुम्ब प्रबोधन कांग्रेस और वामपंथियों के लिए भी होना चाहिए। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आये थे। वह अखिल भारतीय अधिकारियों के साथ बैठे थे। मुख्यमंत्री ने कुम्भ के आयोजन के संबंध में चर्चा की है। उन्होंने पूरे देश के सभी सम्प्रदायों एवं सभी वर्ग आने चाहिए, इसके लिए संघ से सहयोग करने को कहा है। इस मुद्दे पर भी इस बैठक में चर्चा हुई।
संघ का व्यक्तिगत कोई स्वार्थ नहीं
सरकार्यवाह होसबाले ने कहा कि संघ सार्वजनिक संगठन है। हमारा किसी के साथ, कांग्रेस के साथ भी हमारी कोई खींचातानी नहीं है। हमारे पदाधिकारी सभी से मिलते हैं। हम लोग भी सबसे मिलते हैं। पत्रकार, राजनीतिक पार्टी के नेताओं, जनजाति समाज व उद्योगपतियों से मिलते हैं। हम सबसे मिलना चाहते हैं। संघ का व्यक्तिगत कोई स्वार्थ नहीं है। हमें राष्ट्र का कल्याण व उसकी सुख शांति चाहिए। जैसे सामाजिक अस्पृश्यता गलत है उसी तरह राजनीतिक अस्पृश्यता भी गलत है। संघ की मिट्टी अलग है।