पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस पार्टी को धूल चटाने की चाहत से भारतीय जनता पार्टी अभी से अपनी पूरी ताकत झोंकने में लगी है। 2021 में होनेवाले इस चुनाव में वह किसी भी हालत में जीत हासिल करना चाहती है। हालांकि अभी तक चुनाव की तारीखों का ऐलान भी नहीं किया गया है। लेकिन जनता दल यूनाइटेड की वजह से उसकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जेडीयू ने प. बंगाल में करीब 75 सीटों पर किस्मत आजमाने का ऐलान किया है। हालांकि अभी तक इसकी अधिकृत घोषणा नहीं की गई है।
जेडीयू नेताओं का ऐलान
बिहार में एनडीए की सहयोगी बनकर सत्ता का सुख भोग रही जेडीयू पार्टी के नेता गुलाम रसूल बलयावी ने प. बंगाल में 75 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार उतारने की बात कही है। इससे पहले जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा था कि पार्टी प. बंगाल में अपनी ताकत आजमाने की तैयारी कर रही है। वह बिहार से सटी अपने प्रभाव वाली सीटों की पहचान कर अपने उम्मीदवार उतारेगी। इमने इस तरह के बयान के बाद सियासत के गलियारे में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। सवाल पूछे जा रहे हैं कि जेडीयू प.बंगाल में बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगा या अलग से मैदान में उतरेगा।
2019 में झारखंड में अलग से लड़ा था जेडीयू
2019 में झारखंड में हुए विधानसभा चुनाव में जेडीयू अलग से चुनाव मैदान में उतरा था। केसी त्यागी ने कहा कि जेडीयू पहले पश्चिम बंगाल में चुनाव लड़ चुकी है और बीजेपी के साथ गठबंधन सिर्फ बिहार तक सीमित है। हालांकि दिल्ली विधानसभा में दोनों ने मिलकर चुनाव लड़ा था।
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बीजेपी को हो सकता है नुकसान
प. बंगाल में जेडीयू की ताकत ऐसी नहीं दिखती है कि वहां वह कोई बहुत बड़ी तीर मार लेगी. लेकिन एक बात तो स्पष्ट है कि अगर उसने 75 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे तो बीजेपी को बडा नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए पहले तो बीजेपी जेडीयू को चुनावी अखाड़े से दूर रखना चाहेगी और नहीं मानने पर उसे मिलकर टीएमसी के खिलाफ लड़ने का ऑफर दे सकती है।
इस तरह से हो सकता है लाभ
जेडीयू के साथ चुनाव लड़ने पर बीजेपी को फायदा भी हो सकता है। बीजेपी की पकड़ ज्यादातर सवर्ण मतदाताओं पर ही मजबूत है, अगर जेडीयू साथ आता है तो दूसरे बैकवर्ड, दलित और मुसलमानों के भी वोट उसे मिल सकते हैं। बता दें कि प. बंगाल में में कुल 294 विधानसभा सीटों पर अगले साल चुनाव होनेवाले हैं।
नीतीश के रुख पर नजर
देखनेवाली बात यह है कि बिहार में बीजेपी के रहमोकरम पर मुख्यमंत्री की कुर्सी का सुख भोग रहे जेडीयू सुप्रीमो इस बारे में क्या रुख अपनाते हैं। बता दें कि बिहार में जहां एनडीए की सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी बीजेपी के पास 75 सीटें हैं,वहीं जेडीयू के पास मात्र 40 और वीआईपी तथा हम दोनो के पास चार-चार सीटें हैं।