सियासी दंगल में किसका मंगल?

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पश्चिम बंगाल में 2021 में होनेवाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सियासी दंगल का दौर जारी है। भारतीय जनता पार्टी अपनी राजनीति के तरकश से एक-एक तीर निकालकर वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साध रही है। गृहमतंत्री अमित शाह के 19-20 दिसंबर के दौरे के दरम्यान 75 से ज्यादा टीएमसी के छोटे-बड़े नेता बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। लेकिन ममता दीदी के हौसले अभी भी बुलंद हैं। वह बीजेपी को बाहरी पार्टी बताकर बंगाल की जनता से उसे बाहर का रास्ता दिखाने का आह्वान कर रही हैं।

दीदी को घेरने की तैयारी
भारतीय जनता पार्टी दीदी को हर तरफ से घेरने की कोशिश कर रही है। दीदी की पार्टी में सेंध लगाकर उसके नेताओं को अपनी पार्टी में लाने के साथ ही वह अन्य तरह के राजनैतिक हथकंडे भी अपना रही है। 19 दिसंबर को अधिकृत रुप से टीएमसी को छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी को जहां पहले ही जेड सुरक्षा देकर केंद्र की एनडीए ससकार ने उन्हें दीदी के सामने मजबूती से खड़े रहने का हौसला दिया है, वहीं पार्टी के फायर ब्रांड नेता और प. बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय को भी बुलेट प्रूफ कार देकर राजनैतिक हिंसा का निडर होकर सामना करने की ताकत दी है।

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बीजेपी मान रही मौका
पिछले कुछ महीनों में राजनैतिक हिंसा और खूनखराबे में तीन सौ से अधिक नेता-कार्यकर्ता गंवा चुकी बीजेपी इस चुनाव को एक बड़े मौके की तरह ले रही है। पिछले कुछ महीनों में बिहार विधानसभा, हैदराबाद, राजस्थान और गोवा के निकाय चुनावों में सिक्का जमाने के बाद अब बीजेपी प. बंगाल विधानसभा चुनाव में जीत के लिए पूरी ताकत झोंक रही है।

शुभेंदु अधिकारी का बड़ा बयान
शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि इस बार प. बंगाल में बीजेपी नंबर वन पार्टी होगी। टीएमसी के हमलों का जवाब देते हुए अधिकारी ने कहा कि मैं जब टीएमसी में था तो मैंने तहे दिल और पूरी मेहनत से काम किया। अब मैं बीजेपी में हूं और यहां भी मैं मेहनत करके इसे नंबर वन पार्टी बनाऊंगा।

बदलाव की लहर?
वर्तमान में राजनैतिक हिंसा के लिए देश के सभी राज्यों से ज्यादा कुख्यात प. बंगाल में बदलाव की लहर बहती नजर आ रही है। कम्यूनिस्ट पार्टी के हाथ से सरककर तृणमूल काग्रेस पार्टी की ममता बनर्जी के पास आने के बाद अब एक बार फिर सत्ता परिवर्तन की संभावना नजर आ रही है। अगर ऐसा होता है तो पश्चिम बंगाल में ऐतिहासिक बदलाव होगा।

बीजेपी के सकरात्मक पक्ष

  • व्यवस्थित चुनाव प्रचार
  • पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जैसे चुनाव प्रचारक
  • टीएमसी छोड़कर बीजेपी में आए नेताओं को पार्टी की कमजोरियों को जानकारी
  • राजनैतिक हिंसा एक मजबूत मुद्दा
  • एंटी इनकंबेंसी फैक्टर का फायदा

टीएमसी के नकारात्मक पक्ष

  • पार्टी में ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी के बढ़ते प्रभाव का नकारात्मक असर
  • टीएमसी के वरिष्ठ नेताओं में बढ़ती नाराजगी
  • चुनाव प्रचार के लिए पार्टी में कद्दावर नेताओं का अभाव
  • बढ़ती बेरोजगारी और हिंसा से स्थानीय मतदाताओं में नाराजगी
  • एंटी इनकंबेंसी फैक्टर

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