West Bengal: पश्चिम बंगाल (West Bengal) भाजपा (BJP) के वरिष्ठ विधायक और नेता प्रतिपक्ष (opposition leader) शुभेंदु अधिकारी (Shubhendu Adhikari) ने आरोप लगाया है कि संदेशखाली (Sandeshkhali) में स्थानीय तृणमूल नेता शेख शाहजहां और उसके सहयोगियों द्वारा दुष्कर्म की पीड़ित महिलाओं के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश ममता बनर्जी ने पुलिस को दिया है। उन्होंने कहा है कि ममता बनर्जी राज्य की मुख्यमंत्री होने के साथ गृहमंत्री भी हैं। उन्होंने ही आदेश दिया है कि जो शेख शाहजहां हैं, अथवा दूसरे तृणमूल नेता जो सालों से महिलाओं का दुष्कर्म कर रहे हैं, उनके खिलाफ कोई केस नहीं होना चाहिए। बल्कि उन महिलाओं के खिलाफ केस दर्ज करने को कहा गया है जो दुष्कर्म के खिलाफ मुंह खोलने की हिम्मत कर रही हैं।
दरअसल राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने पश्चिम बंगाल के हालात पर एक पोस्ट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर किया है। इसमें उन्होंने लिखा है कि संदेशखाली गई महिला आयोग की टीम को पता चला कि जिन महिलाओं ने आरोप लगाए हैं उनके परिजनों के खिलाफ पुलिस लगातार आपराधिक मामलों में केस दर्ज कर रही है। गुंडे अलग से धमका रहे हैं और पुलिस दूसरी ओर से। इसी पर रिप्लाई करते हुए शुभेंदु अधिकारी ने बुधवार को कहा है, “ये तो अपराध के पहाड़ का एक छोटा हिस्सा है। संदेशखाली कोई छिटपुट घटना नहीं है, यह इस बात का सबूत है कि पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था की स्थिति चरमरा गई है।”
तृणमूल पार्टी के पक्ष में हुई धांधली
ममता बनर्जी के लिए, संदेशखाली की रोती-बिलखती महिलाएं महज अतिरिक्त क्षति हैं। वह शाहजहां शेख जैसे अपराधियों को असीमित शक्ति देकर सत्ता पर बने रहने के लिए एक ऐसी हर कीमत चुकाने को तैयार है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि चुनावों में तृणमूल पार्टी के पक्ष में धांधली हो। बदले में महिला अधिकारों का उल्लंघन ममता बनर्जी के लिए सिर्फ एक ”सामान्य बात” है। ममता बनर्जी ने ही पश्चिम बंगाल की गृह मंत्री होने के नाते पुलिस को ऐसी शिकायतें दर्ज न करने का निर्देश दिया है और इसके बजाय यौन शोषण के पीड़ितों को तृणमूल नेताओं के साथ मिलकर मुद्दों को सुलझाने की सलाह दी है।
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अतिसक्रिय पुलिसिंग महज दिखावा
अधिकारी ने कहा है कि अचानक प्रशासनिक कार्रवाई और अतिसक्रिय पुलिसिंग महज दिखावा है। बल्कि यह स्वतःस्फूर्त आंदोलन को दबाने और वास्तविक दोषियों को बचाते हुए निर्दोषों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज करके न्याय प्रणाली को गुमराह करने का एक खुला प्रयास है।