दीदी के सलाहकार बने बंदोपध्याय की ऐसे बढ़ रही हैं मुश्किलें!

पश्चिम बंगाल में चुनाव खत्म होने के बाद भी हर दिन ऐसा कुछ हो रहा है, जिसके कारण भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और तृणमूल कांग्रेस पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है।

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चुनाव के दौरान विभिन्न पार्टियों के बीच टकराव और आरोप-प्रत्यारोप के साथ ही शक्ति प्रदर्शन कोई नई बात नहीं है, लेकिन पश्चिम बंगाल में चुनाव खत्म होने और सरकार गठित हो जाने के बाद भी केंद्र और राज्य सरकार में जारी रंजिश हैरत की बात है। यहां चुनाव खत्म होने के बाद भी हर दिन ऐसा कुछ हो रहा है, जिसके कारण भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और तृणमूल कांग्रेस पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है।

तौकाते चक्रवात से हुए नुकसान के लिए समीक्षा बैठक करने पश्चिम बंगाल के कलाईकुंडा पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में आधा घंटा देर से पहुंचने वाले पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलापन बंदोपाध्याय के बहाने केंद्र और राज्य सरकार में एक और लड़ाई शुरू हो गई है।

एफआईआर दर्ज कराने की चेतावनी
केंद्र ने इस मामले में बंदोपाध्याय को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। गृह मंत्रालय ने हाल ही में रिटायर हुए आईएएस अधिकारी अलापन बंदोपाध्याय को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में उनसे तीन दिनों में जवाब मांगा गया है। जवाब नहीं देने पर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की चेतावनी दी गई है। बताया जा रहा है कि कार्मिक प्रशिक्षण विभाग के आदेश का पालन नहीं करने को लेकर बंदोपाध्याय के खिलाफ कार्रवाई करने पर विचार किया जा रहा है। प्रदेश की सीएम ममता बनर्जी ने हाल ही में उन्हें अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त किया है।

ममता के वफादार
कलाईकुंडा बैठक प्रकरण के बाद तत्कालीन मुख्य सचिव अलापन बंदोपध्याय की सेवा को लेकर केंद्र और राज्य के बीच एक बार फिर विवाद बढ़ता नजर आ रहा है। बंदोपाध्याय इस बैठक में सीएम ममता बनर्जी के साथ आधा घंटा देर से पहुंचे थे।

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पीछे का घटनाक्रम
बता दें कि पश्चिम बंगाल कैडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी बंदोपाध्याय 60 वर्ष होने पर 31 मई को सेवा निवृत्त होने वाले थे, लेकिन केंद्र ने कोरोना महामारी के मद्देनजर उन्हें पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव के रुप में तीन महीने का सेवा विस्तार दिया था। इसके बाद केंद्र ने एक आकस्मिक निर्णय लेते हुए 28 मई को उनसे सेवाएं मांगी थी और राज्य सरकार को उन्हें मुक्त करने को कहा था। लेकिन ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर उन्हें रिलीज करने से मना कर दिया। उसके बाद बंदोपाध्याय के सेवा निवृत होने पर उन्होंने उन्हें तीन साल के लिए अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त कर लिया।

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