पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को फिर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि मुझे अपनी संवैधानिक शक्तियों के उपयोग करने के लिए मुझे मजबूर न करें। राज्यपाल के इस बयान पर तृणमूल कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि राज्य में बदलाव का आह्वान करके वे अपनी संवैधानिक शक्ति को भूल गए। उनकी अपील खारिज कर दी गई, इसलिए बूढ़ा अब स्पष्ट रुप से निराश हैं।
कई हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का किया दौरा
बता दें कि राज्यपाल ने पिछले तीन दिनों में प्रदेश के कई हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया है। उत्तर बंगाल में शीतलकूची की उनकी यात्रा पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कड़ा ऐतराज जताया था। फिर भी राज्पाल ने वहां का दौरा कर प्रभावितों से बातचीत की थी। इसके बाद वे असम में अस्थाई रुप से शिविरों का भी दौरा किया था। बंगाल में डर के कारण अपने घरों को छोड़कर वहां लोग शरण लिए हुए हैं। 15 मई को बीएसएफ के हेलीकॉप्टर से नंदीग्राम पहुंचने के बाद राज्यपाल ने बाइक पर बैठकर हिंसा प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया। वे अब तक प्रदेश के कई हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर चुके हैं और पीड़ितों से मुलाकात कर उनसे बातचीत भी कर चुके हैं।
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राज्यपाल ने मीडिया से कही ये बात
लोगों की आपबीती सुनकर राज्यपाल भावुक हो गए। उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि बंगाल कोरोना के साथ ही हिंसा से भी जूझ रहा है। यह ऐसा समय है, जब हम सो नहीं सकते। यहां लोग अपना घर-परिवार छोड़कर पलायन करने पर मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि सीएम ने शीतलकूची की फायरिंग में चार लोगों के मारे जाने को नरसंहार करार दिया था, क्या उन्होंने नंदीग्राम की महिलाओं ओर बच्चों की चीखें नहीं सुनीं,जहां बड़ी संख्या में लोग बेघर हो गए।
हिरासत में भाजपा की तीन विधायक
इस बीच प्रदेश के सिलीगुड़ी में 16 मई को तीन विधायकों को लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में हिरासत में लिया गया। हालांकि बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया। ये तीन विधायक शंकर घोष, आनंदमय बर्मन और शिखा चट्टोपध्याय हैं। ये तीनों उत्तरी बंगाल में राज्य सरकार के खिलाफ कोरोना से बढ़ती मौतों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे।