पश्चिम बंगाल में रहने वाले बांग्लादेश के विस्थापित हिंदू समुदाय मतुआ धर्म महासभा को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 29 मार्च संबोधित करेंगे।
माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री की नजर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर है। राज्य की 65 से 70 विधानसभा और कम से कम 10 से 12 लोकसभा सीटों पर जीत हार का आंकड़ा तय करने वाला यह विस्थापित समुदाय आजादी के बाद से स्थाई नागरिकता का इंतजार कर रहा है। यहां उत्तर 24 परगना के ठाकुर नगर में 29 मार्च को महासभा का आयोजन किया गया है। महासभा को वर्चुअल माध्यम से प्रधानमंत्री संबोधन करेंगे।
मतुआ धर्म महा मेला
प्रधानमंत्री मोदी ने एक दिन पूर्व ही ट्वीट कर कहा था कि, ”मैं कल, 29 मार्च को शाम 4:30 बजे मतुआ धर्म महा मेला 2022 को संबोधित करने का अवसर मिलने के लिए सम्मानित महसूस कर रहा हूं। हम महान श्री श्री हरिचंद ठाकुर जी की जयंती मनाएंगे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन सामाजिक न्याय और लोक कल्याण के लिए जीवन समर्पित कर दिया।”
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तस्वीर भी साझा की
इसके अलावा प्रधानमंत्री ने समुदाय की महारानी बड़ों मां के साथ 2019 में मुलाकात की अपनी तस्वीर भी साझा की थी और कहा था कि वह कभी भी इस प्रेरणादायक मुलाकात को नहीं भूल सकेंगे। इस समुदाय से भाजपा के सांसद शांतनु ठाकुर ने भी ट्वीट कर प्रधानमंत्री के संबोधन की जानकारी दी और कहा कि बड़ो मां समुदाय के लिए प्रेरणा और आशीर्वाद थीं।
मतुआ धर्म की हुई स्थापना
प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि हरिचंद ठाकुर ने आजादी के पूर्व के युग में अविभाजित बंगाल में अपना जीवन वंचितों एवं निचले तबके के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया था। उनके द्वारा सामाजिक और धार्मिक आंदोलन 1860 में ओरकांडी (अब बांग्लादेश में) से शुरू हुआ था। आगे चलकर इसके कारण मतुआ धर्म की स्थापना हुई।