देश के जाने-माने अंतरराष्ट्रीय विचारक, दार्शनिक व चिंतक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने गुरुवार को बीकानेर में कहा कि लालच मनुष्य में कायरता पैदा करता है। अगर शत्रु आपके घर पर बंदूक ले के आया है और आप उससे कहेंगे कि हमारा डीएनए एक है, भाईचारा है तो शत्रु बदलने वाला नहीं है। इसलिए हर चीज का नियम बनाओ। हमें संयुक्त भारत में डराया गया है, धमकाया गया।
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श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्मृति मंदिर की ओर से मुखर्जी की 69 वीं पुण्यतिथि पर भाग लेने यहां आए कुलश्रेष्ठ ने जस्सूसर गेट के बाहर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि अध्यापकों ने पहले ही गलती की है। हम 2022 के भारत में आज भी वही इतिहास पढ़ रहे हैं, जिसको पढ़कर बच्चे आईएएस बनते हैं। हम सच बोलने से डरते हैं, सच के कारण कोई पद किसी पार्टी का दो कौड़ी का चला ना जाए। इसलिए हम सच के कारण डरते हैं। हमारे लिए पार्टी बड़ा नहीं राष्ट्र बड़ा है। उन्होंने कहा कि आप अपने आप, परिवार और समाज से झूठ कतई न बोलें। झूठ ने ही तो इतने सालों तक गुलाम बनाके रखा हुआ है। ये नुपूर शर्मा का मामला नहीं है। उसने जो सच बोला है जो 1400 साल से सच है और ये किताब जिसके बारे में किसी रामप्रसाद, आरएसएस, बीजेपी, विश्व हिन्दू परिषद ने नहीं लिखी है बल्कि कुरान ए शरीफ की जितनी भी हदीज है उसमें सर्वमान्य है। पूरा इस्लाम मानता है, उसको बुखारी शरीफ कहते हैं, उसमें 5,134 नंबर पर वही शब्द लिखा है जो नुपूर शर्मा ने कहा है।
कुलश्रेष्ठ ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि कोई आदमी तमाम बड़े सारे लोग भाईचारे की बात करते हैं उनसे कहो कि हिम्मत है तो खड़े होकर लालकिले या इंडिया गेट पर कहो नुपूर शर्मा ने कहा है उसे तुम नहीं मानते, तुम्हारी किताब में गलत है लेकिन नहीं वह दिल से आपको डराना चाहते है। पार्टी ने नुपूर को निकाल दिया। कुलश्रेष्ठ ने यह भी कहा कि समाज में कायर व डरपोक पैदा हो रहे है। लेकिन खुशी है कि लोग अब कुछ बोलने लगे है और इस बोलने से ही बहुत सारे लोगों को डर लगने लगा है।
पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने यह भी कहा कि कहते हैं, भारत की आजादी का दिन 15 अगस्त 1947 को है। ये कहां लिखा हुआ है कि हमें इस दिन आजादी मिली। जबकि पिछले सत्तर सालों से हम 15 अगस्त मना रहे हैं। डॉक्यूमेंट है या नहीं सिर्फ सुनी सुनाई बातों का शौक है। इसके खिलाफ बोले तो गलत होगा। इससे पहले 1946 में अंग्रेजों का डॉक्यूमेंट है जो आपके अपने देश के आर्काइज में मौजूद है। सनातनी हिंदू सिर्फ सुनी-सुनाई बातों को आगे बढ़ाता है। भारत को आजादी नहीं दी गयी है। जबकि भारत में सत्ता का हस्तांतरण हुआ है। ब्रिटिश जब यहां से जा रहे थे तो उनके चापलूस लोग थे जो उनके हिसाब से भारत चलाना चाहते थे उनको सत्ता सौंपी गयी थी। किसी संगठन ने सच बात नहीं बतायी 70 साल का सफर सात साल में समाप्त हो गया। हम सब लोग इस बात से डरते हैं हमने भरी सभा में सवाल पूछ लिया तो नेताजी नाराज हो जाएंगे। मैं आपके सामने पब्लिकली कहता हूं नतीजे पर पहुंचा हूं कि इस बात से कनवेंस हूं कि आज भी जो जन्म आपका हुआ है वह आपकी मर्जी से नहीं हुआ है, मृत्यु निश्चित है। इसमें संशय नहीं है।
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