महाराष्ट्र में विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर विधानमंडल के मानसून सत्र से ऐन पहले घमासान शुरू हो गया है। एक तरफ जहां कांग्रेस मांग कर रही है कि बिना अध्यक्ष के बजट सत्र तो बीत गया लेकिन अब मानसून सत्र के दौरान विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होना चाहिए, वहीं अब राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर पूछा है कि वे अध्यक्ष का चुनाव कब कराएंगे? राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को यह पत्र 24 जून को लिखा है।
राज्यपाल ने पत्र में क्या लिखा है?
राज्यपाल ने प्रदश के सीएम उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में तीन अहम मुद्दों की ओर उनका ध्यान खींचा है। उन्होंने बजट सत्र की अवधि को बढ़ाने की मांग की है। बता दें कि राज्य का मानसून सत्र 5 और 6 जुलाई को होने जा रहा है। इसके साथ ही राज्यपाल ने अपने पत्र में एक और महत्वपूर्ण मुद्दे का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव जल्द से जल्द कराया जाए। उनके पत्र में तीसरा मुद्दा यह है कि राज्य की वर्तमान स्थिति में स्थानीय निकाय चुनाव नहीं होने चाहिए क्योंकि ओबीसी आरक्षण अभी भी लंबित है।
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भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने की थी राज्यपाल से मुलाकात
बता दें कि देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने 23 जून को राज्यपाल कोश्यारी से मुलाकात की थी। उस वक्त उन्होंने राज्यपाल से तीन महत्वपूर्ण मांगें की थीं। उन्होंने कहा था कि राजनैतिक पार्टियों के सभी कार्यक्रम हो रहे हैं, लेकिन मानसून सत्र कोरोना के कारणों का हवाला देते हुए मात्र दो दिन का आयोजित किया जा रहा है। इसके साथ ही फडणवीस ने कोरोना काल में जिला परिषद के चुनाव कराए जाने का भी मुद्दा उठाया था। उन्होंने सरकार पर हमला करते हुए कहा था कि इसमें कोरोना का कोई खतरा नहीं है। विपक्षी नेता ने कहा था कि राज्य में जिस तरह से घोटाले सामने आ रहे हैं, उसमें छात्रों, महिलाओं और समाज के विभिन्न तबकों में आक्रोश देखा जा रहा है। इसलिए यह महाविकास आघाड़ी सरकार अधिवेशन केवल दो दिन आयोजित कर विपक्ष के सवालों और जनता की समस्याओं से भागने की कोशिश कर रही है। उन्होंने राज्यपाल से अधिकतम अवधि तक अधिवेशन आयोजित करने की मांग की थी।
विधानसभा अध्यक्ष चुने जाने की मांग
फडणवीस ने काफी दिनों से विधानसभा अध्यक्ष पद के खाली रहने पर भी सवाल उठाए थे। उन्होंने राज्यपाल से इस महत्वपूर्ण पद को जल्द से जल्द भरे जाने की मांग की थी। भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से यह भी मांग की थी कि वे राष्ट्रपति को सूचित करें कि महाराष्ट्र में संविधान का उचित तरीके से पालन नहीं किया जा रहा है। सरकार की अनिच्छा के कारण मराठा और ओबीसी आरक्षण अधर में लटक गया। फडणवीस ने कहा था कि 40 -50 वर्षों में पहली बार इस सरकार द्वारा ओबीसी को राजनीतिक आरक्षण नहीं दिया गया। फडणवीस ने राज्यपाल से यह भी कहा था कि सरकार ने कहा था कि वह तब तक चुनाव नहीं कराएगी, जब तक कि आरक्षण के मुद्दे का समाधान नहीं हो जाता। इसलिए फिलहाल सभी तरह के चुनाव स्थगित किए जाने चाहिए।