देवेंद्र फडणवीस ने राज्यसभा चुनाव में ठाकरे सरकार को मात देने के बाद विधान परिषद चुनाव में भी जोरदार झटका दिया। विधान परिषद चुनाव के परिणाम घोषित होते ही एकनाथ शिंदे 19 से भी अधिक पार्टी विधायकों को लेकर गुजरात चले गए। इन बागी विधायकों का नेतृत्व शिंदे कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस पूरे घटनाक्रम में भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस का हाथ है। अब सवाल यह है कि फडणवीस ने ठाकरे सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए एकनाथ शिंदे को ही क्यों चुना?
शिंदे के खिलाफ दिए थे सीएम ने आदेश
पिछले डेढ़ साल से चर्चा थी कि एकनाथ शिंदे को पार्टी में हाशिये पर फेंका जा रहा है। कहा जाता है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने संबंधित अधिकारियों को एकनाथ शिंदे के शहरी विकास या राज्य सड़क विकास निगम से संबंधित किसी भी फाइल को मंजूरी नहीं देने का निर्देश दिया था। यह भी जानकारी मिली है कि पिछले डेढ़ साल में एकनाथ शिंदे का कोई काम नहीं हुआ, चाहे वह शहरी विकास विभाग की फंडिंग का हो या एमएसआरडीसी परियोजना का।
शिंदे के साथ अन्याय
कहा जाता है कि एकनाथ शिंदे ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी के विधायकों को सीधे धन देने के बजाय शहरी विकास के लिए बड़ी रकम आवंटित करके पार्टी संगठन को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया। इसके जरिए शिंदे ने प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से शिवसेना के विधायकों को मोटी रकम देकर संगठन का काम कराया। शिंदे शिकायत कर रहे थे कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने जून 2019 से इन 2000 मामलों पर रोक लगा दी है। एक चार्टर्ड अधिकारी ने दावा किया कि शहरी विकास सचिव और एमएसआरडीसी के प्रबंध निदेशक को मुख्यमंत्री ने शिंदे की किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं करने का निर्देश दिया था। इससे एकनाथ शिंदे काफी परेशान हो गए। शिंदे ने कुछ आईएएस अधिकारियों और उनसे नीचे के लोगों के तबादले के लिए मुख्यमंत्री को प्रस्ताव भेजा था। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने इसे भी खारिज कर दिया था।